कोयला खदान मजदूर का बेटा जो बनने गया था फौजी, लेकिन बन गया क्रिकेटर
स्पोर्ट्स डेस्क
क्रिकेट जगत में कई ऐसे गेंदबाजों का नाम सुना होगा जिन्होंने अपनी गेंदबाजी के आगे अच्छे-अच्छे बल्लेबाजों की बोलती बंद कर दी है। वही क्रिकेट में तेज गेंदबाजों को एक खौफनाक तरीके से देखा जाता रहा है। जोकि कभी भी, किसी भी टीम को पलक झपकते ही तबाह कर सकते है। भारतीय क्रिकेट में जवागल श्रीनाथ, जहीर खान, वेंकटेश प्रसाद, इरफान पठान, रूद्र प्रताप सिंह जैसे तमाम तेज गेंदबाज़ आए, जिन्होंने अपनी गेंदबाजी का लोहा पूरी दुनिया में मनवाया। हालांकि भारत में तेज गेंदबाजी के नाम पर 130 से 140 किलोमीटर प्रति घंटे की गेंदबाजी करने वाले गेंदबाज ही दिखते थे। ऐसे में 19 साल की उम्र में एक कोयला खदान मजदूर का बेटा जो फौज में भर्ती होने के लिए गया तो वहां पर नाकाम हो गया, पुलिस की भर्ती देखने गई गया तो वहां भी उसे सफलता नहीं मिली, फिर उसने सब कुछ छोड़ तेज गेंदबाजी में कैरियर ट्राई करने की ठान ली। उस गेंदबाज की कहानी कुछ ऐसी है, जो गांव में पला बढ़ा , और गांव से काम के लिए कस्बे तक दौड़ कर जाना, पेड़ों से आम इमली चुराना, खदान मजदूरी में पिता का हाथ बटाना, यही उसकी दिनचर्या रही थी। दिलचस्प बात यह है कि जिस उम्र में एक प्रोफेशनल क्रिकेटर अपनी सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहा होता है उस उम्र में वह गेंदबाज टेनिस बॉल से गेंदबाजी कर रहा था और लोकल टूर्नामेंट में खेलकर 5 से 10 हजार की कमाई कर रहा था।
लेकिन कहते हैं ना जब होनी को कुछ और मंजूर हो तो वह आपको वहां तक खींचकर जरूर ले आती है। और हुआ भी कुछ ऐसा ही, एक दोस्त के जरिए वह गेंदबाज विदर्भ की रणजी टीम के कप्तान से मिला जहां पर उसकी गेंदबाजी देख सभी चौंक गए। इतनी तेज गेंदबाजी कि पलक झपकते बल्लेबाज के कान को ले उड़े तो बल्लेबाज को भी पता न चले। लगभग 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी करने वाला गेंदबाज उन दिन भारत को मिल चुका था और जल्दी ही सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ने वाला था। उसका नाम हम सब अब उमेश यादव के रूप में जानते है
आखिरकार पुलिस और फौज में भर्ती ना हो पाने वाले उमेश यादव के दिन एकाएक बदल गये और उन्हें 2010 T20 वर्ल्ड कप में चोटिल प्रवीण कुमार की जगह टीम में शामिल कर लिए गया था। जब उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट में पदार्पण किया तो मानो तहलका मचा दिया। अपने पहले दो टेस्ट मैच में उमेश ने 9 विकेट लिए और यह ऐलान कर दिया कि भारत में भी 150 से 155 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी करने वाला गेंदबाज नागपुर के विदर्भ से भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करने आ चुका है। और अब वह भारतीय टीम का टेस्ट क्रिकेट में लगातार हिस्सा भी है।
हालांकि देर से शुरू हुए कैरियर के बाद अपनी गत पर गेंदबाजी करने के बावजूद उमेश यादव 4 गेंद डालने के बाद अपनी लाइन और लेंथ से पता नहीं आज भी कैसे भटक जाते हैं। शायद उन्हें भी नहीं पता है कि उनके साथ ये क्या होता है, लेकिन जब वह अपने लय में होते हैं तो उनको खेलना बल्लेबाज के लिए असाधारण होता है। जो भी हो इतना तो तय है कि इशांत शर्मा के बाद उमेश यादव ने भारतीय तेज गेंदबाजी को जीवंत जरूर रखा। जिसके आधार पर आज भारतीय टीम में 150 किलोमीटर प्रति घंटे से ऊपर गेंदबाजी करने वाले गेंदबाजों की लाइन लगी हुई है।