May 18, 2024

रोहित पाण्डेय

जैसे-जैसे उत्तर प्रदेश का चुनाव नजदीक आता जा रहा है। वैसे-वैसे राजनीतिक सरगर्मियां तेज होती जा रही हैं। इस बीच कई नेता अपने राजनीतिक भविष्य को देखते हुए नई पार्टियां ज्वाइन कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस में भगदड़ कुछ ज्यादा ही मची हुई है। हाल ही में यूपी की योगी सरकार की सबसे ज्यादा आलोचना करने वाले और कांग्रेस की तरफ से ब्राह्मणों की राजनीति करने वाले जितिन प्रसाद भी अब बीजेपी का दामन थाम चुके हैं। ऐसे में जब 2022 का यूपी विधानसभा चुनाव नजदीक है तो कांग्रेस के लिए मुसीबतें और खड़ी हो गई हैं और लंबे समय से ही उत्तर प्रदेश की सत्ता से दूर रहने वाली कांग्रेस पार्टी अब अपने पुराने वोट बैंक ब्राह्मणों को साधने की कोशिश करेगी। ऐसे में कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव में किसी ब्राह्मण उम्मीदवार को मुख्यमंत्री का चेहरा बना सकती है। वहीं अगर जनता की माने और उत्तर प्रदेश के कांग्रेस कार्यकर्ताओं की सुने तो प्रमोद तिवारी ही एकमात्र बेहतर विकल्प कांग्रेस के लिए नजर आ रहे हैं। प्रमोद तिवारी को लेकर सोशल मीडिया पर भी यह चर्चा जोरों पर है कि लगातार 9 बार विधायक बनकर गिनीज बुक में नाम दर्ज कराने वाले प्रमोद तिवारी को ही कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया जाना चाहिए। आपको बता दें कि प्रमोद तिवारी उत्तर प्रदेश कांग्रेस के एक बड़े नेता के रूप में जाने जाते हैं। और उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़े ब्राह्मण राजनेता के रूप में उन्होंने अपने आप को स्थापित कर रखा है। और मौजूदा वक्त में उत्तर प्रदेश में राजनीति का केंद्र इस वक्त ब्राह्मण ही है। ऐसे में 2022 विधानसभा चुनाव में प्रमोद तिवारी पर दांव लगाकर कांग्रेस मजबूती से उत्तर प्रदेश में एक बार फिर अपने आपको स्थापित कर सकती है। वही विशेषज्ञों का मानना है कि अगर प्रमोद तिवारी को कांग्रेस मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर यूपी चुनाव लड़ती है तो प्रमोद तिवारी कांग्रेस के लिए ‘तुरुप का इक्का’ साबित हो सकते हैं।

मुख्यमंत्री पद के लिए आखिर प्रमोद तिवारी ही क्यों

दरअसल जब 2017 यूपी विधानसभा के लिए कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबंधन हुआ था। तब भी यह खबर थी कि अगर कांग्रेस-सपा गठबंधन की सरकार सत्ता में आती है तो अखिलेश यादव मुख्यमंत्री होंगे और प्रमोद तिवारी को उत्तर प्रदेश का डिप्टी सीएम बनाया जाएगा। जिसके लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की भी सहमति थी। ऐसे में अब जब 2022 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस अकेले मैदान में उतरेगी तो पार्टी के पास मुख्यमंत्री पद के लिए प्रमोद तिवारी के अलावा कोई भी विकल्प नहीं होगा। वही प्रमोद तिवारी ने उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों को कांग्रेस की तरफ लाने में अहम भूमिका भी निभाई है साथ ही पूर्वांचल, अवध और बुंदेलखंड में प्रमोद तिवारी का एक बड़ा नाम है और उनका किसी भी पार्टी के साथ राजनीतिक विरोध ही नहीं है। वहीं उनकी छवि एक जन स्वीकार्य नेता के रूप में हमेशा से बनी रही है और पार्टी के अंदर भी उनके नाम को लेकर सभी सहमत हैं।

प्रमोद तिवारी का राजनीतिक सफर

सरल, सहज, मृदुभाषी और व्यवहार कुशल राजनेता प्रमोद तिवारी पहली बार साल 1980 में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ की रामपुर खास विधानसभा से विधायक बन कर आए तो उसके बाद लगातार उन्होंने उसी विधानसभा से 9 बार विधायक रहकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा लिया। इस बीच प्रमोद तिवारी 1984 से 1989 के बीच दो बार उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री बने, साथ ही कई सालों तक कांग्रेस विधायक दल के नेता रहे। इसके अलावा साल 2013 में राज्यसभा के लिए हुए उपचुनाव में कांग्रेस के पास विधायकों की पर्याप्त संख्या न होने के बावजूद प्रमोद तिवारी अपने मधुर सियासी रिश्तो के कारण राज्यसभा पहुंचे। साथ ही प्रतापगढ़ के लोकसभा चुनाव में भी उनका अहम योगदान रहता है और राजकुमारी रत्ना सिंह जो कि पहले कांग्रेस में हुआ करती थी उनको भी लोकसभा चुनाव जिताने में प्रमोद तिवारी का हमेशा अहम योगदान रहा हैं।

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