July 3, 2024

तीरथ के इस्तीफे बाद क्या बंगाल में ‘खेला’ की उम्मीद कर रही है बीजेपी

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नमन सत्य न्यूज ब्यूरो

10 मार्च 2021 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार रात को पद से इस्तीफा दे दिया है। दरअसल सीएम पद की शपथ लेते वक्त तीरथ सिंह रावत विधानसभा के सदस्य नहीं थे। जबकि नियमानुसार छह महीने के भीतर उनका विधायक बनना जरूरी था। लेकिन कोरोना के चलते राज्य में उपचुनाव नहीं हो पाएं। वहीं अब प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए एक साल से भी कम का समय बचा है। जिसकी वजह से उपचुनाव होने में संकट है। इसी ‘संवैधानिक संकट’ को देखते हुए तीरथ सिंह रावत ने इस्तीफा देना पड़ा। जिसके बाद अब उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री की भी तलाश तेज हो चुकी हैं।

वही दूसरी तरफ तीरथ रावत का ये संकट अब आगामी दिनो में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए भी सिरदर्द बन सकता है। क्योंकि तीरथ की तरह ममता बनर्जी भी राज्य की विधानसभा सदस्य नहीं हैं। कोविड के चलते अगर बंगाल में अगले कुछ महीनों में उपचुनाव नहीं हुए तो ममता के सामने भी तीरथ रावत जैसा संवैधानिक संकट खड़ा हो सकता है। आपको बता दें कि बिना विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य चुने हुए केवल छह महीने तक ही कोई भी मुख्यमंत्री या मंत्री पद पर बना रह सकता है। भारतीय संविधान अनुच्छेद 164 (4) के अनुसार कोई भी मुख्यमंत्री या मंत्री अगर छह महीने तक राज्य के विधानमंडल का सदस्य नहीं बन पात है, तो उसका मंत्री पद इस अवधि के साथ ही समाप्त हो जाएगा।

गौरतलब है कि तीरथ सिंह रावत 10 मार्च 2021 को मुख्यमंत्री बने थे। हालांकि वे राज्य की विधानसभा के सदस्य नहीं हैं। उनको ठीक छह महीने यानी 10 सितंबर 2021 से पहले विधायक चुनकर आना था। जिसके लिए राज्य में दो विधानसभा सीटें रिक्त भी हैं, लेकिन कोरोना संकट के चलते उनपर चुनाव कराए जाने की संभावना नहीं बन रही। इसके अलावा राज्य की विधानसभा का कार्यकाल अब महज 8 महीने का बचा है। जिसके कारण उपचुनाव मुश्किल लग रहे है।

वही दूसरी तरफ पिछले कुछ महीने पहले कोरोना संकट के दौरान देश के पांच राज्यों में चुनाव कराए जाने को लेकर निर्वाचन आयोग की काफी किरकिरी हुई थी। यहां तक कि मद्रास हाईकोर्ट ने तो चुनाव आयोग को ही दूसरी लहर का जिम्मेदार बताकर अफसरों पर मर्डर चार्ज लगाने तक की बात कह डाली थी। अब ऐसे में जब कोरोना की तीसरी लहर का खतरा जताया जा रहा है, तो चुनाव आयोग उपचुनाव कराने का जोखिम भी नहीं उठाना चाहता है।

इन सबके बीच पश्चिम बंगाल में चुनाव जीतने के बाद ममता बनर्जी ने 4 मई 2021 को तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की थी। हालांकि वो खुद नंदीग्राम में चुनाव हारने के चलते राज्य विधानमंडल की सदस्य नहीं बन सकी थी। ऐसे में उन्हें अनुच्छेद 164(4) के तहत छह महीने के अंदर यानी 4 नवंबर 2021 तक विधानसभा का सदस्य बनना जरूरी है। यही संवैधानिक बाध्यता भी है। हालांकि,पश्चिम बंगाल में भवानीपुर विधानसभा सीट रिक्त हो गई है।  ममता विधानसभा की सदस्य तभी बन पाएंगी जब तय अवधि के अंदर चुनाव हो जाए। अब अगर 4 नवंबर तक ममता विधानसभा की सदस्य नहीं बन पाएंगी तो तीरथ सिंह रावत की तरह ममता बनर्जी को भी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है।

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