बंगाल चुनाव : विकास और जाति से परे, धर्मिक रंग में रंगा बंगाल
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नमन सत्य ब्यूरो
बंगाल इस वक्त पूरी तरह से सियासी रंग में रंगा हुआ है लेकिन बंगाल में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब यहां विकास और जाति से ज्यादा धर्म को तवज्जो दी जा रही हो। एक तरफ बीजेपी नेता जय श्रीराम के नारे लगा रहे हैं. तो वहीं दूसरी तरफ ममता बनर्जी भी चंडीपाठ के सहारे हिंदुत्व की राजनीति कर रही है। ऐसा कहा जा रहा है कि ममता बनर्जी बीजेपी के फेंके गए धर्मजाल में पूरी तरह फंस चुकी हैं। आपको बता दे कि आजादी से पहले हो या फिर आजादी के बाद, बंगाल नेताओं की पहली पसंद शुरू से ही रहा है। लेकिन बंगाल पर राज करने का मौका सिर्फ कुछ लोगों को ही मिला है। आजादी के बाद देखें तो मुख्य तौर पर यहां सिर्फ तीन ही पार्टियों का सिक्का चल सका है। सबसे पहले कांग्रेस, फिर वाम दल औऱ फिर टीएमसी। जिन्होंने अब तक बंगाल की सत्ता पर सुख भोगा है। अब एक बार फिर बंगाल में चुनाव हो रहे हैं और चुनावी सरगर्मी अपने चरम पर है। नेताओं द्वारा भी तीखे बयान जमकर छोड़े जा रहे हैं. लेकिन एक चीज है जो इस बार के चुनाव में पहली बार देखा जा रहा है और वो है चुनाव की चादर पर धर्म का रंग ।
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मंत्र, कलमा और जीसस को याद कर रही है ममता
इन चुनावों के दौरान ऐसा नहीं है कि ममता बनर्जी सिर्फ हिंदू वोटरों को लुभाने के लिए हिंदू मंत्र का जाप कर रही हो. बल्कि वो मंच से मुस्लिमों को लुभाने के लिए कभी कलमा पढ़ती हैं, तो कभी ईसाइयों को अपने पाले में करने के लिए जीसस को भी याद करती हैं. वहीं दूसरी तरफ बंगाल की राजनीति पर पकड़ रखने वाले जानकारों की मानें तो इससे पहले उन्होंने ममता बनर्जी का ये रूप कभी नहीं देखा था। वो हमेशा से ही धार्मिक नारों से दूर रही हैं लेकिन इस बार जिस मजबूती के साथ बीजेपी बंगाल के चुनावी मैदान में कूदी है। उससे अब एक बात तो साफ हो चुकी है कि अब ममता को भी हार का डर सताने लगा है. यही वजह है कि अब वो भी धार्मिक रंग में रंग चुकी हैं।
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राजनीतिक जानकारों का कहना तो ये भी है कि ममता बनर्जी इस बार के चुनाव में बीजेपी की मजबूत स्थिती को देखकर घबरा चुकी है। वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के लगभग सभी नेता अपनी हर रैली में जय श्रीराम के नारे का उद्घोष करना नहीं भूल रहे हैं। पीएम मोदी से लेकर अमित शाह, जेपी नड्डा या फिर उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ, जैसे ही चुनावी मंच से जनता को संबोधित करने पहुंचते हैं तो वैसे ही जय श्रीराम का नारा लगना शुरू हो जाता है। ऐसे में अगर हिंदू एकतरफा धर्म के नाम पर बीजेपी को वोट करता है तो ममता की कुर्सी जाना तय माना जा रहा है। हिंदू वोट एकतरफा होता देख अब ममता खुद को एक ऐसे नेता के तौर पर दिखाना चाहती हैं, जो कि सभी धर्मों का सम्मान करती हो, और सभी को साथ लेकर चलने वाली राजनीति करती हो।