भारत में ही नहीं बल्कि अनेकों देशों में भी पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है भोजन अर्पित
नमन सत्य ब्यूरो
भारत में आज से पितृपक्ष यानि श्राद्ध शुरू हो रहे हैं। ऐसे में सभी लोग अपने पितरों की याद में उन्हें भोजन अर्पित करते हैं, ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सकें, लेकिन क्या आप जानते हैं की श्राद्ध केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के अलग-अलग देशों में भी मनाया जाता है। हालांकि सभी देश अलग-अलग तरह से अलग-अलग दिनों, महीनों और नाम के हिसाब से अपने पितरों को याद करते हैं। ऐसे में आपको बता दें कि किन-किन देशों में किस नाम, तारीख और महीने के अनुसार अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए उन्हें याद किया जाता है।
चीन
चीन में 4 से 5 अप्रैल को छींग मिंग मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने पितरों को याद में उनकी कब्र पर जाकर सफाई करते हैं, और उसके बाद कब्र की परिक्रमा की जाती है।
जर्मनी
जर्मनी में नवंबर माह के पहले दिन अपने पूर्वजों की याद में शोक मनाया जाता है। जिसके लिए इसे ऑल सेंट्स डे के नाम से जाना जाता है। इस दिन जर्मनी में लोग अपने पूर्वजों को याद करते हुए मोमबत्तियां जलाते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।
सिंगापुर, मलेशिया, थाईलैंड और श्रीलंका
इन देशों में अगस्त के 15वीं रात को अपने पूर्वजों को याद किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन नर्क के दरवाजे खोल दिए जाते हैं जिसके चलते पूर्वज अपने वंशजों से मिलने धरती पर भोजन करने आते हैं। लिहाजा इसको हंगरी घोस्ट फेस्टिवल का नाम दिया गया है।
दक्षिण कोरिया
इस दिन पितरों को याद करने के लिए दक्षिण कोरिया में चूसेओक मनाया जाता है। लगभग 3 दिन तक पितरों की याद में ताजे चावल कि डिश बनाई जाती है और उनके कब्र पर उन चावलों को अर्पित किया जाता है। इसके अलावा इन 3 दिनों चावलों की दावत की जाती है और चावल से बनी हुई चीजों को ही खाया जाता है।
जापान
पितरों की आत्मा की शांति के लिए जापान में अगस्त के आखिरी के 15 दिनों में पूर्वजों की कब्र पर जाकर पूजा पाठ की जाती है और 15 दिन तक सभी लोग अपने घरों में रोशनी करते हैं। इसके अलावा यहां के लोगों का मानना है कि इन 15 दिनों में उनके पूर्वज उनसे मिलने आते हैं लिहाजा वो अपने घरों के बाहर लालटेन टांग देते हैं। दरअसल लालटेन टांगने के पीछे लोगों का मानना है कि इससे पूर्वजों को उनके घर तक पहुंचने में परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता। इसके साथ ही 15 दिनों में काफी नाच गाना होता है और आखिरी के दिनों में अपने पितरों की विदाई के लिए लोग नदी में दिए जलाकर प्रभावित करते हैं।
फ्रांस
फ्रांस में पूर्वजों को याद करने के लिए 1 नवंबर की तारीख तय की गई है। जिसको ला टेशेंट का नाम दिया गया है। इस दिन पूर्वजों की याद में परिवारिक मनमुटाव को खत्म करके परिवार के सभी सदस्य एकजुट होकर पूर्वज की कब्र को साफ करते हैं और उसके बाद उनकी आत्मा की शांति के लिए कब्र की पूजा की जाती है और उनको भोजन अर्पित किया जाता है। इसके अलावा ला टेशेंट के लिए दो हफ्तों के लिए स्कूल बंद रखे जाते हैं।
नेपाल
नेपाल में अपने पूर्वजों की याद में गायजात्रा की जाती है। जिसे अगस्त और सितंबर में मनाया जाता है। इन 8 दिनों में पूरे शहर के बीच से गाय के झुंड को निकाला जाता है और उसमें वह लोग शामिल होते हैं जिन्होंने हाल ही में अपने परिजनों को खोया होता है। इसके साथ ही अगर किसी परिजन के पास अपनी गाय नहीं होती तो वह खुद गाय का रूप लेकर उस यात्रा में शामिल होता है।
भारत
भारत में अपने पितरों के आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध मनाया जाता है। इस दौरान कई लोग तर्पण, पिंड दान, ब्रह्मभोज और पशुओं को भोजन कराते हैं। भारत में ऐसा मानना होता है कि उनके पूर्वज किसी भी देश में उनसे मिलने आते हैं लिहाजा उनकी याद में उनको भोजन अर्पित किया जाता है।