October 6, 2024

निर्मल को देखते ही मिल्खा को एक नजर में हुआ था प्यार, दोनों ने एक साथ दुनिया को कहा अलविदा

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महान फर्राटा धावक मिल्खा सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे चंडीगढ़ के पीजीआई अस्पताल में शुक्रवार रात को उन्होंने आखिरी सांस ली और 91 साल की उम्र में इस दुनिया को हमेशा-हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। मिल्खा सिंह के निधन की खबर आते ही पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। चारों तरफ मातम पसर गया और पूरा देश नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि देने लगा। भले ही फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह इस दुनिया से जा चुके हैं लेकिन वह हमेशा के लिए अमर रहेंगे। साथ ही अपने पीछे कई यादगार किस्से भी भी छोड़ गए हैं। फिर चाहे वह उनके खेल से जुड़ी हो, या उनकी प्रेम कहानी की बात हो। सब कुछ दिलचस्प है।

वहीं मिल्खा सिंह की प्रेम कहानी किसी फिल्मी पटकथा की लव स्टोरी से कम नहीं है। लेकिन शायद ही लोगों को उनकी इस प्रेम कहानी के बारे में पता हो। ऐसे में हम आपको आज मिल्खा सिंह की प्रेम कहानी के बारे में बताएंगे

मिल्खा सिंह की पत्नी का नाम निर्मल कौर है। जिनका निधन कोरोना की वजह से 13 जून 2021 को हो गया। अब इसे इत्तेफाक कहें या कुछ और, लेकिन पत्नी के जाने के महज 5 दिन बाद ही मिल्खा सिंह भी इस दुनिया को अलविदा कह उनके पीछे-पीछे स्वर्ग सिधार गए। और करोड़ों दिलों को दर्द दे गए। लेकिन इस प्रेम कहानी की शुरुआत कैसे हुई इसको जानने के लिए हमें चलना होगा श्रीलंका के कोलंबो में जहां साल 1955 में भारत की वॉलीबॉल खिलाड़ी और टीम की कप्तान निर्मल कौर से मिल्खा सिंह की पहली मुलाकात हुई थी। वहां मिल्खा सिंह और निर्मल कौर दोनों ही कोलंबो में एक टूर्नामेंट में हिस्सा लेने पहुंचे थे। जहां एक भारतीय बिजनेसमैन ने टीम के लिए डिनर का आयोजन किया था। इसी पार्टी में मिल्खा सिंह ने निर्मल कौर को देखा और देखते ही उन्हें अपना दिल दे बैठे।

वही अपनी प्रेम कहानी के बारे में बताते हुए मिल्खा सिंह ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि निर्मल को देखते ही मैंने पसंद कर लिया थ।  हमारे बीच में उस दिन ही काफी बातें हुई थी। हालांकि पास में कोई कागज नहीं था तो मैंने निर्मल के हाथ पर ही होटल का फोन नंबर लिख दिया था। इसके बाद साल 1958 में हमारी फिर से मुलाकात हुई, लेकिन प्यार की गाड़ी 1960 में चलना शुरू हुई। जब हम दोनों की मुलाकात दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में हुई और इसके बाद प्यार का सिलसिला आगे बढ़ता गया। ऐसे में अब इस रिश्ते को एक नया नाम देना था यानी शादी करना।

हालांकि उस वक्त मिल्खा सिंह एक बड़ा नाम हो चुके थे लेकिन उनकी शादी में अड़चन उनके ससुर ही बन गए। क्योंकि वह इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं थे, इसके पीछे की वजह थी धर्म, क्योंकि जहां मिल्खा सिंह सिख परिवार से नाता रखते थे, वहीं निर्मल हिंदू परिवार से आती थी। ऐसे में शादी में अड़चन आना स्वाभाविक था। लेकिन वो कहते हैं ना कि जोड़ियां रब के घर से बनकर आती हैं, ऐसे में इन्हें बनाने बिगाड़ने वाले हम होते कौन हैं। हालांकि मिल्खा सिंह और निर्मल कौर की शादी में अड़चने कम होने का नाम नहीं ले रही थी। ऐसे में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों उस वक्त मसीहा बनकर सामने आए। उन्होंने परिवार वालों को समझाया जिसके बाद साल 1962 में दोनों शादी के पवित्र बंधन में बंध गए। तब से यह रिश्ता अगले 59 साल तक चलता आया और जब समाप्त हुआ तो महज 5 दिन के भीतर ही दोनों ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

हालांकि इस बीच मिल्खा सिंह और निर्मल कौर के 2 बच्चे हुए, जिनका नाम जीव मिल्खा सिंह और मोना मिल्खा सिंह है। जीव मिल्खा सिंह पेशे से एक फुटबॉलर है और बेटी मोना मिल्खा सिंह अमेरिका में डॉक्टर के तौर पर काम कर रही है।

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