जानिए कोवैक्सीन औऱ कोविशील्ड के साइड इफेक्ट
नमन सत्य ब्यूरो
देश में 1 मई से 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को वैक्सीन लगवाने की शुरुआत की गई है। जिसमें लोगों को कोवैक्सीन और कोविशील्ड की डोज दी जानी है। ऐसे में कुछ लोग अभी भी वैक्सीन्स के साइड इफेक्ट को लेकर चिंतित हैं। कई लोग ऐसे हैं जो वैक्सीन लगवाने से कतरा रहे हैं। इसलिए आज हम आपको कोवैक्सीन और कोविशील्ड के बारे में कुछ खास बताने वाले हैं।
ये है कोवैक्सीन के फायदे, नुकसान और साइड इफेक्ट
कोवैक्सीन के विषय में व्हाइट हाउस से मेडिकल एडवाइस एंथानी फाउची ने खुद एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि कोवैक्सीन B.1.617 वेरिएंट यानी भारत के डबल म्यूटेंट वेरिएंट को बेअसर करने में कारगर है।
ये है कोवैक्सीन के प्रभाव
यह WHO के स्टैंडर्ड को मैच करती हैं। इसमें एफिकेसी रेट 78 फीसदी है।स्टडी के मुताबिक कोवैक्सीन घातक इंफेक्शन और मृत्यु दर को 100 फीसदी तक कम कर सकती है।
कोवैक्सीन के साइड इफेक्ट
यह एक रिएक्टोजेनिक साइड इफेक्ट के साथ आती है। इसमें इंजेक्शन साइट पर दर्द, बुखार ठंड लगना, चक्कर आना, सिर दर्द, पेट दर्द आदि लक्षण होते हैं। हालांकि कोवैक्सीन में अभी तक ऐसा कोई साइड इफेक्ट नहीं आया है।
कोविशील्ड के फायदे, नुकसान और प्रभाव
कोवैक्सीन और कोविशील्ड दोनों एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं। यह भारत समेत और भी कई देशों में इस्तमाल की जा रही है। वैज्ञानिकों का दावा है कि ये वैक्सीन कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी जनरेट करने का काम करती है। लेकिन दोनों वैक्सीनों की खूबियां इन्हें एक दूसरे से अलग बनाती हैं।
कोविशील्ड के प्रभाव
कोविशील्ड का एफिशिएंसी रेट 70 प्रतिशत है, जिसे तकरीबन 1 महीने बाद दूसरी डोज के साथ 90 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है। ये न सिर्फ सिम्पटोमैटिक इंफेक्शन में राहत देती है बल्कि तेजी से रिकवरी भी करती है।
कोविशील्ड के साइड इफेक्ट
यह एक असरदार वैक्सीन है, लेकिन इसके साइड इफेक्ट को लेकर सवाल खड़े हो चुके हैं। कई मामलों में लोगों को ब्लड क्लॉट की परेशानी हो चुकी है। इसके साथ ही न्यूरोलॉजिकल से जुड़ी दिक्कत भी हो चुकी है। हालांकि संक्रमण को खत्म करने के लिए दोनों ही वैक्सीन बेहद असरदार हैं।