December 5, 2024
nikay chunav

लखनऊ ब्यूरो

उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव को लेकर पिछले कुछ दिन से लगाए जा रहे हैं कयासो पर अब पूर्ण रूप से विराम लग चुका है, क्योंकि मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने निकाय चुनाव पर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के ही कराए जाएंगे। जिसके बाद अब नगर निकाय चुनाव कराने का भी रास्ता साफ हो गया है । गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से 5 दिसंबर 2022 की शाम को आरक्षण नोटिफिकेशन जारी किया गया था। जिसके बाद यूपी के अनेकों जिलों से इलाहाबाद हाईकोर्ट और लखनऊ बेंच में अलग-अलग कई याचिकाएं दायर की गई थी। जिसपर कोर्ट लगातार सुनवाई कर रही थी लिहाजा कोर्ट में सुनवाई चलते रहने के कारण राज्य निर्वाचन आयोग की अधिसूचना जारी करने पर कोर्ट ने रोक लगाई थी। हालांकि अब कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने कहा है कि जब तक ट्रिपल टेस्ट न हो तब तक ओबीसी आरक्षण लागू नहीं होगा। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को बिना आरक्षण के तत्काल चुनाव कराने के निर्देश दिए। जिससे अब राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से भी अधिसूचना जारी करने का रास्ता साफ हो गया है। जल्द ही चुनाव की अधिसूचना जारी कर चुनाव संपन्न कराएं जाएंगे।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान अब तक क्या क्या हुआ?

गौरतलब है कि कोर्ट में 23 दिसंबर को की गई सुनवाई के दौरान याची पक्ष की तरफ से दलील दी गई थी कि निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण मात्र एक राजनीतिक आरक्षण है। इसका सामाजिक आर्थिक अथवा शैक्षिक पिछड़ेपन से कोई भी लेना देना नहीं है। लिहाजा ओबीसी आरक्षण लागू किए जाने से पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा लागू की गई व्यवस्था के अनुसार एक कमेटी द्वारा ट्रिपल टेस्ट कराना अनिवार्य है। जिस पर राज्य सरकार ने कोर्ट में जवाब देते हुए कहा था कि स्थानीय निकाय चुनाव मामले में साल 2017 में रैपिड सर्वे कराया गया था। जिसको आधार मानते हुए चुनाव कराये जाए। इसके साथ ही सरकार की तरफ से यह भी कहा गया था कि इसी रैपिड सर्वे को ट्रिपल टेस्ट माना जाए। उसी दरमियान हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा था कि किन प्रावधानों के तहत निकायों में प्रशासकों की नियुक्ति की गई? उस पर सरकार की तरफ से कोर्ट में जवाब दिया गया कि 5 दिसंबर 2011 के हाईकोर्ट के फैसले के तहत इसका प्रावधान है।

कैसे कराया जाता है रैपिड सर्वे?

रैपिड सर्वे हरेक जिले में जिला प्रशासन की निगरानी में नगर निकायों द्वारा वार्डवार तरीके से वर्ग की गिनती करके कराई जाती है। इसके आधार पर ही सीटों का निर्धारण कर शासन को आरक्षण का प्रस्ताव तैयार कर भेजा जाता है।

क्या होता है ट्रिपल टेस्ट?
नगर निकाय चुनावों में #OBC का आरक्षण निर्धारित करने से पहले एक आयोग का गठन किया जाएगा, जो निकायों में पिछड़ेपन की प्रकृति का आकलन करेगा। इसके बाद पिछड़ों के लिए सीटों के आरक्षण को प्रस्तावित करेगा। दूसरे चरण में स्थानीय निकायों द्वारा ओबीसी की संख्या का परीक्षण कराया जाएगा और तीसरे चरण में शासन के स्तर पर सत्यापन कराया जाएगा। 

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