राष्ट्रपति द्वारा हो नए संसद का उद्घाटन, विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका
28 मई को होने वाले संसद के नए भवन के उद्घाटन पर विवाद थमने का नाम नही ले रहा है। जहां कल तक विपक्षी पार्टियां पीएम मोदी द्वारा संसद भवन के उद्घाटन का विरोध कर रही थी, वहीं अब सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति से संसद भवन का उद्घाटन कराने का निर्देश देने वाली याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि लोकसभा सचिवालय ने राष्ट्रपति को उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं करके संविधान का उल्लंघन किया है।
862 करोड़ की लागत से बने नए संसद के उद्घाटन में देश की सभी 40 पार्टियों को शामिल होने का निमंत्रण भेजा गया था। लेकिन कांग्रेस समेत 20 पार्टियों ने आने से इनकार कर दिया और राष्ट्रपति से संसद के उद्घाटन की माग की। विपक्ष का कहना है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दरकिनार कर प्रधानमंत्री से इसका इनॉग्रेशन कराने का निर्णय न केवल गंभीर अपमान है, बल्कि यह लोकतंत्र पर भी सीधा हमला है। बुधवार को विपक्षी दलों के संयुक्त बयान में कहा गया है कि इस सरकार में संसद से लोकतंत्र की आत्मा को निकाल दिया गया है। ऐसे में नए भवन का कोई मतलब नहीं है।
इससे पहले भी इस मामले पर विपक्ष हमलावर रहा है। संसद का उद्घाटन पीएम मोदी द्वारा किए जाने का विरोध करते हुए केंद्र सरकार पर जमकर तंज कसा था। TMC सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने बयान देते हुए इसे भारत के दलित आदिवासी और वंचित समाज का अपमान बताया। AAP नेता संजय सिंह ने भी इस पर सवाल उठाते हुए संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने की मांग की थी।
वहीं 20 विपक्षी दलों द्वारा नई संसद का उद्घाटन पीएम मोदी द्वारा किए जाने का विरोध करने पर भाजपा के नेताओं ने इसे घटिया राजनीति कहा और इसे लोकतंत्र का अपमान बताया। UP CM योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नई संसद पर बयानबाजी करना गलत है। विपक्ष सिर्फ राजनीति कर रहा है। ये गैरजिम्मेदार रवैया है।