नेता व मंत्रियों के अपमानजनक व बेतुके बयानों के लिए पार्टी जिम्मेदार नही: सुप्रीम कोर्ट
दिल्ली ब्यूरो
देश में नेता, मंत्री द्वारा दिए गए बेतुके बयानों को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि इसके लिए किसी भी सरकार या पार्टी को जिम्मेदार नही ठहराया जा सकता है, क्योंकि वो उनकी अपनी राय है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा कि देश में हर कोई अपने बयान देने के लिए स्वतंत्र है। बोलने की आज़ादी व्यक्ति की अपनी होती है, इसलिए कोई मंत्री, नेता किसी भी तरह का कोई भी ग़ैर ज़िम्मेदारी भरा बयान देता या देती है, तो इसके लिए किसी भी पार्टी या सरकार को जिम्मेदार नही ठहराया जा सकता।
गौरतलब है कि हाल ही में नेता व मंत्री के बेतुके बयानों की रोक को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लगाई गई थी। जिसपर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया कि देश में हरेक इंसान को बोलने की आजादी है औऱ किसी के भी बोलने पर पाबंदी नही लगाई जा सकती।
आखिर कैसे लगेगी नेताओं के अपमान जनक बयानों पर रोक?
देश में अक्सर देखा जाता है कि कोई भी नेता अपनी राजनीति चमकाने या पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को खुश करने के लिए अक्सर अपमान जनक बयान देता है। ऐसे में जब उसके बयानो से पार्टी की किरकिरी होने लगती है तो पार्टी ये कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लेती है, कि वो उनके निजी विचार है। इसके लिए पार्टी जिम्मेदार नही है। उसके कुछ दिन बाद ही बेतुके बयान देने वाले नेता का प्रमोशन कर दिया जाता है। ऐसे में अब बड़ा सवाल ये खड़ा होता है कि क्या नेताओं के अपमान जनक बयानों के लिए कोई भी रोकथाम नही है। क्या इसके लिए कोई भी मापदंड तैयार नही किए जाने चाहिए। ख़ैर, कोर्ट के फैसले के बाद अब मंत्रियों की ग़लतबयानी से सरकारें बरी हो चुकी हैं। इसके साथ ही नेता और मंत्री अब पहले से औऱ भी ज्यादा बेतुके बयानों के लिए आजाद हो गए है।