Tokyo Paralympic: भारत की शुक्रवार शुरुआत भी रही शानदार, प्रवीण कुमार ने जीता मेडल, तो प्राची यादव फाइनल में पहुंची

नमन सत्य न्यूज ब्यूरो
टोक्यो पैरालंपिक में शुक्रवार दिन की शुरुआत होते ही भारत के लिए अच्छी खबर आई। दरअसल शुक्रवार का सूर्यादय होते ही भारत ने 11वां मेडल हासिल कर लिया। भारतीय पुरुष के T64 के हाईजंप में प्रवीण कुमार ने एशियन रिकॉर्ड के साथ सिल्वर मेडल जीत लिया है। इसके साथ ही भारत की प्राची यादव ने तीसरे स्थान पर रहे हुए कोनो स्प्रिंटो के फाइनल में जगह बना ली है। वही हरविंदर सिंह ने तीरंदाजी में अगले राउंड के लिए क्वालीफाई कर लिया।
प्रवीण ने देश के लिए सिल्वर मेडल जीत लिया है, लेकिन क्या आप जानते है की प्रवीण बचपन से ही पैर की बीमारी से जूझ रहे है। उनका एक पैर बचपन से ही छोटा है, लेकिन उनके हौसले बचपन से ही बड़े थे जिसके चलते प्रवीण आज इस मुकाम पर पहुंच सके है। प्रवीण के जंप की शुरुआत स्कूल दौर से हुई थी। दरअसल प्रवीण ने स्कूल में हाईजंप खेल के दौरान काफी शानदार जंप लगाई थी। तब उनके स्कूली कोच ने उन्हें हाईजंप में आगे की तैयारी करने का सुझाव दिया था। उसके बाद प्रवीण जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में लगातार अभ्यास करने लगे और उसके बाद साल 2019 के दरमियान जूनियर चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल का खिताब अपने नाम किया था तो वही सीनियर चैंपियनशिप में वो चौथे स्थान पर रहे थे और अब टोक्यो पैरालंपिक में उन्होंने देश के लिए सिल्वर मेडल हासिल कर लिया।
कठिन डगर से गुजरा प्राची की जिंदगी का बिता हुआ कल
प्राची यादव की जिंदगी कुछ ज्यादा अच्छी नहीं रही। प्राची यादव ने बचपन से ही अपने दोनो पर खो दिए थे। उसके बाद 7 साल की उम्र में उनकी मां का निधन हो गया, बावजूद इसके ये परेशानियां प्राची का रास्ता नहीं रोक सकी, प्राची जब 9 साल की थी तो उन्होंने केनो स्प्रिंटों को सीखने की शुरुआत की थी। धीरे धीरे प्राची केनो में इतनी माहिर हो गई की उन्होंने जूनियर कैटेगरी में गोल्ड हासिल कर लिया। जिसके बाद उन्होंने इस खेल के प्रति खुद को समर्पित कर दिया, और दिन रात मेहनत करने लगी। बताया जाता है की प्राची को उनके कोच ने केनोइंग करने की सलाह दी थी। जिसके बाद प्राची ने केनोइंग सीखने की शुरुआत की। सिखने के दौरान प्राची ने इस खेल से कई मेडल भी हासिल किए। जिसमें प्राची ने साल 2019 में नेशनल खेल के 1 गोल्ड और सिल्वर हासिल किया। उसी साल 2019 में प्राची ने हंगरी पैरालंपिक में भाग लिया और क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में 8 रैंक हासिल की थी। बरहाल प्राचीन ने फाइनल के अपनी जगह बनाकर देश को एक और मेडल की उम्मीद जगा दी है।