इमरजेंसी के दौर का वो तानाशाही, जुल्म, दुख-दर्द और गुलामी को भुला पाना बहुत मुश्किल है
नमन सत्य न्यूज ब्यूरो
भारत में आपातकाल को लेकर प्रधानमंत्री ने बड़ा बयान दिया है, पीएम ने कहा कि इमरजेंसी देश के इतिहास में एक काला अध्याय था। जिसे कभी भुलाया नही जा सकता, पूरे देश ने 1975 से 1977 के बीच संस्थानों का विनाश देखा गया है। कांग्रेस ने हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला है और देश का विनाश किया है। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने इमरजेंसी के खिलाफ आवाज उठाने वालों को भी याद किया है।
गौरतलब है कि, 46 साल पहले 25 जून यानि आज ही के दिन देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की थी। 25 जून 1975 को आपातकाल लगाने के साथ ही सभी नागरिकों के मौलिक अधिकार खत्म कर दिए गए थे और सरकार मनमाने फैसले ले रही थी। आपको बता दें कि 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने आपातकाल की मंजूरी दे दी थी। यह घोषणा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के अंतर्गत की गई थी। उस वक्त इंदिरा गांधी ने सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले हर शख्स को जेल में बंद करवा दिया था। आपातकाल के ड्राफ्ट पर तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने 25 जून की आधी रात को हस्ताक्षर किए थे। जिसके बाद पूरा देश इंदिरा गांधी और संजय गांधी का बंधक बना दिया गया था। वही 26 जून की सुबह 6 बजे इंदिरा गांधी ने कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई जिसमें गृह सचिव खुराना ने आपातकाल का घोषणा पत्र कैबिनेट को सुनाया।
बताया जाता है कि इमरजेंसी घोषित करने के फैसले पर इंदिरा गांधी अपने बेटे संजय गांधी और सेक्रेटरी आरके धवन के प्रभाव में थी। दोनों किसी तरीके से भी इंदिरा गांधी को सत्ता में बनाए रखना चाहते थे। और फिर क्या था, 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक देश ने इन 21 महीनों में आपातकाल की जो प्रताड़ना सही देखी वह भयावह और वीभत्स थी।
देश में आपातकाल लगते ही इंदिरा के कड़े विरोधी माने जाने वाले जयप्रकाश नारायण को 26 जून की रात 1:30 बजे गिरफ्तार कर लिया गया था। उसके बाद इंदिरा की नीतियों का विरोध कर रहे और कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया और सभी को देश की अलग-अलग जेलों में ठूंस दिया गया। देश में आपातकाल की जानकारी आम जनता को ऑल इंडिया रेडियो के जरिए दी गई थी। देश में आपातकाल लगाए जाने के बाद मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट यानी मीसा के तहत हजारों लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।
हालांकि आपातकाल की ऐसी निशानी देश पर पड़ी कि आज भी वो वक्त याद करके लोगों की रूप कांप जाती है। कुछ फैसले तो ऐसे रहे जोकि कई सालों तक चलते आए। उनमें से आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इंदिरा गांधी का एक फैसला 2019 तक जम्मू कश्मीर में लागू रहा। जम्मू कश्मीर एकमात्र ऐसा राज्य था। जहां 1975 से विधानसभा का कार्यकाल 6 साल का चला आ रहा है। लेकिन 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा मिलने के बाद विधानसभा का कार्यकाल देश के बाकी राज्यों की तरह 5 साल का हो गया और आपातकाल की अंतिम निशानी 2019 से इतिहास का हिस्सा बन गई है।
फिलहाल आपातकाल के 46 साल पूरे हो जाने के बाद भी, आज सरकार की वह तानाशाही, प्रताड़ना, लोगों का दर्द और घुट के जीने के दौर भुलाया नहीं जा सकता है।