December 6, 2024

कॉलेज को निजीकरण से बचाने के लिए धरने पर बैठे कॉलेज के छात्र-छात्राएं

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अनुज जयसवाल: संवाददाता

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में बुधवार को करीब 50 से अधिक छात्र धरने पर बैठ गए। उनका कहना है कि जिस ओबरा इंटरमीडिएट कॉलेज में वह पढ़ रहे है, वह राज्य सरकार के ओबरा थर्मल पावर द्वारा वित्त पोषित है। लेकिन अब उसे निजी हाथों में सौपे जाने की तैयारी चल रही है। जिसका एक लेटर पूरे जिले में वायरल हो रहा। छात्रो का कहना है कि कॉलेज के निजीकरण हो जाने से उनकी शिक्षा पर बहुत गहरा प्रभाव होेगा और जिले के गरीब बच्चे अशिक्षित रह जाएंगे।

आपको बता दें कि पूरा मामला उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले का है, जहाँ पूरे जिले में एक ही ऐसा कॉलेज है, जिसमें गरीब से गरीब छात्र कम फीस में अच्छी शिक्षा पा सकता है। ओबरा इंटरमीडिएट कॉलेज पूरे जिले का चर्चित कॉलेज है। इस कॉलेज की फीस अबतक जनरल केटेगरी के छात्रों की 25 रुपये, पिछड़े वर्ग के छात्रों की 20 रुपये, तो वहीं अनुसूचित जाति जनजाति की मात्र 5 रुपये महीने थी, लेकिन ऐसा अनुमान है कि निजीकरण हो जाने के बाद इसकी फीस हजारो रुपए हो जाएगी। जिसकी वजह से जिले के कई छात्र व छात्राएं अशिक्षित रह जाएंगी। छात्र ने बताया कि वे निजीकरण न करने की बात लेकर कई अधिकारियों के पास गए, लेकिन किसी ने भी बातों पर ध्यान नहीं दिया। जिसके बाद सभी छात्र धरने पर बैठ गए।

इसके बाद जब हमारे संवाददाता ने धरने पर बैठे छात्रो से बात की तो ज्योति नाम की छात्रा ने कहा कि, हम यहां ओबरा इंटर कॉलेज के बचाव के लिए इकठ्ठा हुए है क्योंकि कॉलेज का निजीकरण हो गया है। हमारे धरना प्रदर्शन से हो सकता है कॉलेज निजीकरण से बच जाये। पहले तो तत्कालीन प्रधानाचार्य ने कहा निजीकरण की बात झूठी है लेकिन बाद में उन्होंने दो टूक कह दिया हमे इन सब बातों से कोई मतलब नहीं, आपलोगों को जहाँ पढ़ना है पढ़िए।

वही छात्र आनंद का कहना है कि छात्रों की हित की बात करने के लिए कोई समाजसेवी और न ही कोई नेता हमारे साथ आया। जबकि फालतू के मुद्दों के लिए सभी आगे रहते है। अगर सभी एक जुट हो जाये तो गवर्मेंट इंटर कॉलेज बचा रहेगा। ऐसे में जो गरीब छात्र 40-40 किलोमीटर दूर से कम पैसों में शिक्षा प्राप्त करते आये है, वह आगे भी कम पैसों में शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। प्राइवेट हो जाने से बच्चों को महंगी शिक्षा मिलेगी जो गरीबों के साथ अन्याय है।

धरने पर बैठे छात्रो का कहना है कि उन्होने कॉलेज के निजीकरण को बचाने के लिए अपनी तरफ से सभी प्रयास कर लिए हैं, अब उन्हे मुख्यमंत्री योगी से ही आखिरी उम्मीद है।

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