September 18, 2024

खोड़ा को अभी नही मिलेगा गंगाजल, मूलभूत सुविधाओं को भी तरसेगी कालोनी

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देश की राजधानी दिल्ली से सटी एक ऐसी कॉलोनी, जिसे केंद्र की राजनीति का मुख्य बिंदु होना चाहिए था, लेकिन वहाँ से राजनीति ही पूरी तरह से साफ़ है। कॉलोनी में अनपढ़, जाहिल और मूर्ख नेताओ की एक लंबी जमात हैं। जो रोज़ाना सुबह हरेक पार्टी विचारधारा से रंगे लंबे-लंबे कुर्ते पहनते है और जनता के बीच मूर्ख बनाने पहुँच जाते है। कोई नेता कॉलोनी में पानी लाने के फ़र्ज़ी वादे करता है, तो कोई लंबे लंबे पोस्टर लगाकर भौकाल टाइट करने में लगा रहता है।भौकाल और गर्दा उड़ाने के चक्कर में छुटभैया नेता से लेकर कई मंत्रियों ने इस कॉलोनी को जमकर ठगा और जनता को मूर्ख बनाया। इन जालसाज़ नेताओ से परेशान जनता अब अपनी मूलभूत सुविधा के लिए चीख-चीख कर राज्य और केंद्र सरकार से गुहार लगा रही है, लेकिन इनकी कोई भी सुनने वाला नहीं है।

चुनाव के दरमियाँ इस कॉलोनी में हरेक पार्टी के दिग्गज नेता आते है और बड़े बड़े वादे कर गोल हो जाते हैं। राज्य के मुखिया योगी आदित्यनाथ ख़ुद इस कॉलोनी को चुनाव के दरमियाँ गंगाजल देने की बात कर गए, लेकिन अफ़सोस चुनाव तो आकर भी चला गया लेकिन पानी आज तक नहीं आया। कॉलोनी से सरोकार रखने वाले नेताजी की योग्यता की बात करे तो कोई अंगूठा टेक है, तो कोई 5वीं फ़ेल, कोई 12वीं पास है तो कोई पेशें से वकील है, लेकिन चाल सभी की एक ही जैसी है। इन नेताओं में से कुछ की धोती भले ही आसमान में सुख रही हों, वो बुलंदियों की सीड़िया छू रहे हों लेकिन वो अब जनता की नज़र में दगे हुए कारतूस साबित हो चुके है। इन नेताओ को लगता है कि उन्होंने जनता को मूर्ख बनाने का मंत्र खोज निकाला है, इसलिए वो हर चुनाव में विकास नामी मंत्र का जाप करते है और जनता का वश्वीकरण करके अपना मतलब सिद्ध होते ही चलते बनते है। आलम ये हो चुका है कि लोग अब इस कॉलोनी से पलायन करने को मजबूर है और नेता जी कुंभकर्ण की नींद सो रहे है। नेता जी के लिए कॉलोनी से उनके अंधभक्त वोटरो की संख्या कम नहीं होनी चाहिए फिर चाहे कॉलोनी से पलायन हो या धरातल में घुस जाए। उन्हें तो बस सत्ता का सुख भोगना है। आइये अब आपको विस्तार से इस कॉलोनी के बारे में बताते है ।


राजधानी से 15 किलोमीटर दूर बसी खोड़ा कॉलोनी पर हो रहे अन्याय और अत्याचार की कहानी

लोकतंत्र के मंदिर संसद भवन से 15 किलोमीटर दूर बसी खोड़ा कॉलोनी 3 बड़े मेट्रो शहर से जुड़ी हैं लेकिन अफ़सोस कॉलोनी को ख़ुद का मेट्रो स्टेशन नसीब नहीं हो सका। इन्दिरपुरम से सटे लोगों को कौशांबी मेट्रो स्टेशन का रुख़ करना पड़ता है। जबकि नोएडा सेक्टर 62 से सटे कॉलोनी वासियों को इलेक्ट्रॉनिक सिटी या फिर सेक्टर 62 मेट्रो का सहारा लेना पड़ता है। पूर्वी दिल्ली की छोर से सटे खोड़ा वासियों को नोएडा सेक्टर 15 या लक्ष्मी नगर से मेट्रो पकड़नी पड़ती है।

स्वास्थ, शिक्षा और मृत्यु कर्मकांड को लेकर भी कॉलोनी वासियों को इसी तर्ज़ पर दिल्ली, नोएडा और ग़ाज़ियाबाद जैसे शहरों का रूख करना पड़ता है, क्योंकि कॉलोनी में इनमें से कोई भी मामूली सुविधा अब तक उपलब्ध नहीं है। कॉलोनी वासियों पर नेताओ द्वारा किये जा रहें अन्याय और अत्याचार की कहानी बस यही ख़त्म नहीं होती। ये बागड़ बिल्ले कॉलोनी को आज तक पीने के लिए साफ़ पानी तक नहीं दे पाये। जनता को पीने का पानी भी दिल्ली से ढोकर लाना पड़ता है, या फिर कॉलोनी में बरसाती मेढक की तरह पनपे अवैध पानी के प्लांट से ख़रीदकर ज़हरीला पानी पीना पड़ता है।

खोड़ा को कब मिलेगा बड़ा सरकारी अस्पताल, स्कूल, मेट्रो स्टेशन, श्मशान घाट और गंगाजल पानी?


साल 2017 में नगर निकाय चुनाव होने के बाद कॉलोनी की जनता में आस जगी थी कि अब अस्पताल, स्कूल, मेट्रो स्टेशन, शमशान घाट और गंगाजल जैसी आवश्यक सेवाएं मिल जायेंगी लेकिन अब तक इस कॉलोनी को कोई बड़ा अस्पताल या स्कूल नहीं मिल सका।

इस कॉलोनी पर सरकार की नज़र कब पड़ेगी अभी इस बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता। हालाँकि बीच बीच में स्थानीय नेता फ़र्ज़ी विकास करने के सगूफ़े छोड़ते रहते है, ताकि उनकी राजनीति की दुकान चलती रहे और ये अपनी जेब भरते रहे।

वर्तमान में खोड़ा कॉलोनी के क्या है हालात?

खोड़ा कॉलोनी के वर्तमान हालातों की बात करे तो ये कॉलोनी पूरी तरह से अनाथ हो चुकी हैं। कोई भी इसका माई बाप नहीं है। नगर पालिका, विधानसभा और सांसदी की सत्ता पर काबिज नेताओ का भी इस कॉलोनी से मोह भंग हो चुका है। ये नेता अब कॉलोनी में सिर्फ़ अपने फ़ायदे अनुसार ही आते हैं और चलते बनते है। राजनीतिक रंजिश के चलते भी ये कॉलोनी को फ़र्ज़ी विकास का नाम देकर लगातार नुक़सान पहुँचा रहे है। वर्तमान में कॉलोनी में गंगाजल देने का जुमला फेंका गया हैं, लेकिन उसे आने में ही अभी साल भर से ज़्यादा समय लगेगा। ये कहना भी ग़लत नहीं होगा कि साल 2027 विधानसभा चुनाव में भी स्थानीय नेता गंगाजल मुद्दे पर ही चुनाव लड़ेंगे। फ़िलहाल पानी मुहैया कराने के लिए सर्वे कंपनी के टेंडर डाले गये हैं। इसके बाद सर्वे करने वाली कंपनी कॉलोनी में सर्वे का रोड मैप प्लान करेगी, फिर कॉलोनी के अलग-अलग इलाको से पानी के नमूने इकट्ठा किए जाएँगे। उसके बाद सभी सैंपलों को लैब में जाँच के लिए भेजा जाएगा और फिर उसकी रिपोर्ट के आधार पर सरकार को अवगत कराया जायेगा।

इस प्रक्रिया के पूरे होने के बाद पानी का असल काम शुरू करने को लेकर सरकार अपनी रणनीति तैयार करेगी, तब कही कॉलोनी वासियों को पानी मिलने की उम्मीद की जा सकेगी। अभी तो बस ये चालबाज़ नेता अपनी जुमलेबाज़ी की दुकान चला रहे है। इन्हें लगता है कि खोड़ा कॉलोनी की जनता अनपढ़ और मूर्ख है, लेकिन नेता जी ये भूल गए है कि, भले ही वो कॉलोनी को स्मार्ट ना बना सके हो, लेकिन स्मार्ट इंडिया की तरह खोड़ा के नागरिक अब स्मार्ट हो चुके हैं। इसलिए अब इनकी फ़र्ज़ी राजनीति की दुकान ज़्यादा दिन नहीं चलने वाली है। किसी दिन ऐसा ना हो की अपने मूलभूत विकास के लिए तरस रही गुस्साई जनता इन सभी नेताओं का बोरिया बिस्तरा ही उठा कर फ़ेक दें।

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