करवा चौथ की थाली कैसे बनाएं खास, जानने के लिए पढ़े रिपोर्ट
देशभर में करवा चौथ का त्यौहार 1 नवंबर को मनाया जाएगा. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए सोलह श्रृंगार कर निर्जला व्रत रखती हैं। इस त्यौहार को कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। सुहागन महिलाएं रात को चांद देखने के बाद पूजा पाठ कर अपना व्रत खोलती हैं. इस मौके पर सभी महिलाओं की चाहत होती है की व्रत के दौरान उनकी चौथ के पूजा की थाली अच्छे से सजी रहे। ऐसे में आइये जानते है कि करवा चौथ की थाली में कौन कौन से ऐसे समान की जरूरत होती है। जिसे पूजा बेहद ही धूमधाम से मनाई जा सकें और पूजा करते वक्त क्या सावधानी बरतनी चाहिए।
करवा चौथ की थाली में इन सामग्री की पड़ती है जरूरत
महिलाएं अपने करवा चौथ के पूजन थाली में इन चीजो को शामिल कर के अपना व्रत बेहद ही धूमधाम से मना सकती है। थाली में चंदन, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मिठाई, गंगाजल, कुंकू, अक्षत (चावल), सिंदूर, मेहंदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूं, शक्कर का बूरा, हल्दी, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, चलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलवा, दक्षिणा (दान) के लिए पैसे, इत्या दि को शामिल किया जा सकता है।
ये है करवा चौथ पूजन की विधि
करवा चौथ के दिन सुहागन महिलाओ को पूरे दिन निर्जल रहना होता है. इस दिन पूजा के लिए आठ पूरियों की अठावरी, हलवा, मिट्टी से बनी हुई गौरी के गोद में गणेश जी को बैठाया जाता है। गौरी का सोलह श्रृंगार करें। जल से भरा हुआ लोटा रखें. करवा में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर कर उसके ऊपर दक्षिणा रख दें. रोली से करवा पर स्वास्तिक बनाएं. इसके बाद विधी विधान से गौरी-गणेश की पूजा करें और पति के दीर्घायु की कामना करें. करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें. कथा सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाकर अपने सासू मां के पैर छूकर आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें. रात्रि में चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चन्द्रमा को अर्ध्य दें. इसके बाद पति से आशीर्वाद लें. उन्हें भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें।