मणिपुर में नही थम रही हिंसा, जानिए किन कारणों से भड़की हिंसा
पिछले कई दिनो से नार्थ ईस्ट का गहना कहा जाने वाला मणिपुर हिंसा की चपेट में है। जगह-जगह जातीय हिंसा, आगजनी, तोड़फोड़, लूटपाट और हत्या जैसी घटनाएं देखने को मिल रही हैं। जिले में इंटरनेट सेवा भी बंद है। हिंसा को देखते हुए उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए जा चुके हैं। हजारों लोग अपना घर-बार छोड़कर पड़ोसी राज्य असम में पलायन कर रहे हैं।
मणिपुर की राजधानी इम्फाल से दक्षिण में 63 किलोमीटर पर स्थित चुराचंदपुर जिला हिंसा का केंद्र बना हुआ है। हालात को देखते हुए बड़ी तादाद में आर्मी और असम राइफल्स के जवानों को तैनात किया गया है।
क्या है हिंसा की वजह
हिंसा की दो प्रमुख वजहें हैं। एक है बहुसंख्यक मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का फैसला, जिसका कुकी और नागा समुदाय विरोध कर रहे हैं। कुकी और नागा समुदाय को आजादी के बाद से ही आदिवासी का दर्जा मिला हुआ है। और दूसरी वजह है गवर्नमेंट लैंड सर्वे। बीजेपी की अगुआई वाली राज्य सरकार ने रिजर्व्ड फॉरेस्ट यानी आरक्षित वन क्षेत्र को आदिवासी ग्रामीणों से खाली कराने का अभियान चला रही है। कुकी समुदाय इसके विरोध में है।
कैसे और कहां से हुई हिंसा की शुरुआत?
इस हिंसा की शुरुआत चुराचंदपुर जिले से हुई जो राजधानी इम्फाल के दक्षिण में करीब 63 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जिला जिले में कुकी ,समुदाय के लोगो की संख्या ज्यादा है। पिछले हफ्ते द इंडिजेनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) ने गवर्नमेंट लैंड सर्वे के विरोध में 28 अप्रैल को चुराचंदपुर में 8 घंटे बंद का ऐलान किया था। संयोग से बंद वाले दिन ही मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह का जिले में कार्यक्रम भी था। वह चुराचंदपुर में न्यू लमका टाउन के सद्भावना मंडप में रैली के साथ-साथ एक ओपन जिम और पीटी स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स का उद्घाटन करने वाले थे। लेकिन 27 अप्रैल की रात को ही भीड़ ने मुख्यमंत्री के कार्यक्रम वाली जगह पर जमकर तोड़फोड़ कर दी। कुर्सियों को आग के हवाले कर दिया गया। जिस ओपन जिम और स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स का उद्घाटन होना था, वहां तोड़फोड़ और आगजनी हुई। हिंसा के बावजूद बीरेन सिंह के कार्यक्रम की तैयारियां चल रही थीं। 28 अप्रैल को अधिकारी और बड़ी संख्या में लोग सीएम के आने का इंतजार कर रहे थे, तभी वहां प्रदर्शनकारियों ने धावा बोल दिया। हालात को संभालने के लिए पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े और जवाब में उन्होंने पत्थरबाजी की। तनाव की स्थिति बनने के बाद आखिरकार मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने चुराचंदपुर का दौरा रद्द कर दिया। 28 अप्रैल को देर रात तक पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़प होती रही। उसी रात तुइबोंग एरिया में उपद्रवियों ने फॉरेस्ट रेंज ऑफिस को आग के हवाले कर दिया।
इस घटना के बाद से जिले में हिंसा शांत होने का नाम नही ले रही है। जिसके बाद मजबूरन प्रशासन ने उपद्रवियों को देखते ही गोली मार देने के आदेश दिए जा चुके हैं।