आखिर किन चौपाइयों पर नहीं थम रहा विवाद, पढ़िए पूरी खबर

कुछ दिनो पहले रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों पर आपत्तिजनक टिप्पणी करके विवादों में फसे समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ पूरे देश में चल रहे विरोध प्रदर्शन थमने का नाम नही ले रहे हैं। कई जिलो में लोग स्वामी प्रसाद के खिलाफ सड़को पर उतर रहे हैं। जिसके बाद अंतत: मंगलवार को उन्होने इस मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ी और इस मुद्दे पर जवाब दिया।

स्वामी प्रसाद मौर्य ने ट्वीट के माध्यम से मोदी और आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि मैने सिर्फ रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों पर आपत्ति जताते हुए उन्हे हटाने की मांग की थी। मैने यह बात सांविधानिक दायरे में रहकर की थी। मेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी गई क्योंकि मैं पिछड़ा हूँ जबकि मेरे अंग काटने की सुपारी देने वाले साधु संतो पर कोई कार्यवाही नही हुई।
स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित बयान के बाद से देशभर में उनके खिलाफ विरोध करने वालो की संख्या बढ़ती जा रही है। बता दें कि स्वामी प्रसाद ने हिंदू धर्म में पवित्र ग्रंथ मानी जाने वाली रामचरितानस की कुछ चौपाइयों पर टिप्पणी करते हुए उनमे संशोधन या हटाने की मांग की थी।

जिसके बाद रामचरितमानस में अपनी आस्था रखने वाले लोगों में आक्रोश फैल गया और लोग इसके विरोध में उतर आए। जिन लोगों ने रामचरितमानस पढ़ी है उन्हें यह अच्छी तरह पता होगा की स्वामी प्रसाद ने किन चौपाइयों पर विरोध किया गया था परंतु जिन्होंने रामचरितमानस नहीं पड़ी है सिर्फ देखा देखी और सिर्फ लोगो की सुनके विरोध पर उतर आए हैं, वो इस खबर के माध्यम से उन चौपाइयों को जान सकते हैं।

रामचरितमानस में लिखित चौपाई- पूजिअ विप्र सील गुण हीना। शुद्र न गुन गन ग्यान प्रबीना।। इसपर स्वामी प्रसाद का मानना है कि इस ग्रंथ में तुलसीदास ने ब्राह्मणों को श्रेष्ठ बताया है और दलितो को नीचा दिखाया है।

तुलसीदास द्वारा रचित इस चौपाई में कहना है कि नारियों, दलितों, पशुओं और गंवारो को प्रताड़ित किया जा सकता है, जिसका स्वामी प्रसाद ने अपने बयान में विरोध जताया था।