December 6, 2024

दिल्ली की बिटिया ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में देश का बढ़ाया मान, जूडो खिलाड़ी तूलिका मान ने 78+ KG में सिल्वर मेडल किया हासिल

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tulika man win silver medal

स्पोर्टस डेस्क

कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत की बीटिया ने एक और मेडल हासिल कर देश का नाम ऊंचा किया है। दिल्ली के नजफगढ़ की रहने वाली जूडो खिलाड़ी तूलिका मान ने 78+ KG में देश के लिए सिल्वर मेडल हासिल किया है। लेकिन क्या आप जानते है कि तुलिका ने इस खेल को किन हालातों में शुरू किया था। अगर नही तो सुनिए। ये कहानी उस सिल्वर मेडलिस्ट की है। जिसनें बचपन में अकेलापन देखा है। बचपन में पिता की हत्या देखी औऱ बचपन में ही घर की जिम्मेदारी भी संभाली। दरअसल तूलिका जब 7 साल की थीं तो उनके पिता का मर्डर हो गया। उसके बाद घर में तुलिका, उनकी मां और छोटी बहन बचे, मां दिल्ली पुलिस में कार्यरत थी, लिहाजा ड्यूटी पर जाते वक्त मां दोनों बहनों को कमरे में छोड़ बाहर से कुंडी लगाकर चली जाती थी। जब शाम को मां काम से वापस आती तब जाकर तुलिका उस बंद कमरे से आजाद होती। ये सिलसिला काफी दिनों तक चलता रहा। लेकिन एक बार जब तुलिका की मां ने ये बात अपनी दोस्त से साझा की तो उनकी दोस्त ने तुलिका को जुडो से जुड़ने की बात कही। उसके बाद यही से तुलिका ने अपने सपने को उड़ान देना शुरू कर दिया था। औऱ देती भी क्यों ना, अगर पिंजड़े में बंद पक्षी को आजाद किया जाएगा तो लाजमी है उसके उड़ान के सपने बहुत ऊंचे होंगे। कुछ ऐसा ही तुलिका के साथ भी था। मां की दोस्त की सलाह पर तुलिका ने जुड़ो प्रेक्टिस शुरू कर दी। अब तुलिका के कमरे में बंद होने का सिलसिला खत्म हो चुका था। मां रोजाना तुलिका को कोचिंग सेंटर छोड़ती फिर शाम को ड्यूटी से लौटते तक वापस ले लेती। उस दौरान तुलिका ने एक दो मेडल भी हासिल किए। जिसके बाद उनकी जुडो के प्रति और भी दिलचस्पी बढ़ गई। उसके बाद तलिका ने तय किया की अब जिंदगी इस खेल को समर्पीत कर देंगी। बस फिर क्या था। धीरे-धीरे वक्त का पहिया बढ़ता गया औऱ आज आखिरकार वो वक्त आ गया। जब तुलिका को पूरा देश जानने लगा है। जानें भी क्यों ना बीटिया ने देश के लिए सिल्वर मेडल जो हासिल किया है। वही तुलिका ने इस जीत का श्रेय अपनी मां और अपने कोच को दिया है। तुलिका के अनुसार अगर आय ये दोनो उनकी जिंदगी में ना होते तो शायद वो भी इस मुकाम पर ना पहुंच पाती। फिलहाल तुलिका का कहना है कि अभी तो ये अंगड़ाई है आगे गोल्ड मेडल जीतने की लड़ाई है। वो खेल के लिए खुद को समर्पीत कर देगी और गोल्ड मेडल हासिल करने के बाद ही चैन की सांस लेंगी।  

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