September 21, 2024

रूस-यूक्रेन के बीच हुई जंग, तो पूरी दुनिया पर क्या पड़ेगा असर ? पढिए-

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रूस-यूक्रेन के बीच हुई जंग, तो पूरी दुनिया पर क्या पड़ेगा असर ? पढिए-

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की परिस्थिति है दोनों देश एक दूसरे के निशाने पर है. कभी भी ये दोनों देश एक दूसरे पर हमला कर सकते हैं. इतना ही नहीं पूर्वी यूक्रेन में तो कई जगहों पर धमाके भी हुए हैं. लेकिन इन धमाकों का आरोप रूस समर्थित अलगाववादियों पर लगा है. बताया जा रहा है कि ये सभी धमाके अलगाववादियों ​​​​​​के नियंत्रण वाले शहर दोनेस्क से किए गए हैं. जिसमें के दो सेना के जवानों की मौत भी हो गई है.

तो वहीं रूस की सेना अब बैलेस्टिक और क्रूज मिलाइलों के टेस्ट और परमाणु युद्धाभ्यास शुरू कर चुकी है. लेकिन इस बीच दोनों को युद्ध ना हो इसलिए अमेरिका दोनों देशों को रोकने के लिए रूस से बैठक करने के लिए कहा है जिसके लिए आखिरकार रूस के राष्ट्रपति पुतिन मान भी गए है.

लेकिन इन सवके बीच सवाल ये है कि अगर ये युद्ध हुआ तो इस युद्ध का परिणाम क्या होगा ? और इस युद्ध का क्या असर दुनिया पर पड़ेगा ?

सबसे पहला सवाल : आखिर यूक्रेन क्यों है रूस और पश्चिमी देशों के लिए महत्वपूर्ण?

  • इसके कई कारण है पहला तो रूस यूक्रेन की सीमा से सटा देश है, इस वजह से रूस को अपनी सुरक्षा के लिए यूक्रेन बेहद अहम है.
  • अगर रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो कोल्ड वॉर में जीत हासिल कर चुके अमेरिका के दबदबे को करारा झटका लगेगा.
  • . इसलिए यूरोपीय देशों और अमेरिका की कोशिश यूक्रेन के जरिए रूस के यूरोप में दबदबा बढ़ाने से रोकने की है.
  • तो वहीं यूक्रेन को अपने पाले में करके अमेरिका एक बार फिर से कूटनीति के शह-मात के खेल में रूस को मात देना चाहता है.

सवाल -2 अगर रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध हुआ तो कौन सा देश पड़ेगा भारी ?

हथियाररूसयूक्रेन
सैनिक29 लाख 11 लाख
फाइटर हेलिकॉप्टर154434
फाइटर प्लेन151198
टैंक122402596
बख्तरबंद गाड़िया3012212303

इस आंकड़े से रूस की ताकत का पता तो चलता ही है. वहीं, सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि रूस के फाइटर जेट एकदम हमले के लिए तैयार मोड में रखे गए हैं. साथ ही रूस ने यूक्रेन की सीमा के आसपास अपने इलाके में कई फाइटर जेट भी तैनात कर रखे हैं.

सवाल 3 रूस-यूक्रेन के बीच विवाद है क्या ?

दरअसल इस युद्ध की कहानी समझने के लिए हमें रूस और युक्रेन के इतिहास में जाना होगा. दोनों के बीच कहनी शुरू होती है 20वीं सदी से, जब यूक्रेन रूस के साम्राज्य का हिस्सा था. 1917 में ब्लादिमीर लेनिन के नेतृत्व में रूसी क्रांति हुई और फिर 1918 में यूक्रेन ने आजादी की घोषणा कर दी, लेकिन 1921 में लेनिन की सेना से हार के बाद 1922 में यूक्रेन सोवियत संघ का हिस्सा बन गया. लेकिन यूक्रेन ने हार नहीं मानी यूक्रेन ने रूस से आजादी के लिए संघर्ष करता रहा. 1954 में सोवियत संघ के सर्वोच्च नेता निकिता ख्रुश्चेव ने इस विद्रोह को दबाने के लिए क्रीमिया आइलैंड को यूक्रेन को तोहफे में दे दिया. 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद यूक्रेन ने अपनी आजादी का ऐलान कर दिया. और फिर आजाद होते ही यूक्रेन रूसी प्रभाव से मुक्ति की कोशिशों में जुट गया और इसके लिए उसने पश्चिमी देशों से नजदीकियां बढ़ाईं.

यहां से शुरू हुई रूस और रूस और यूक्रेन में तकरार. जब 2010 में रूस समर्थित विक्टर यानुकोविच यूक्रेन के राष्ट्रपति बने. तो यानुकोविच ने रूस के साथ करीबी संबंध बनाए और यूक्रेन के यूरोपियन यूनियन से जुड़ने के फैसले को खारिज कर दिया, जिसका यूक्रेन में कड़ा विरोध हुआ. और 2014 में विक्टर यानुकोविच को पद छोड़ना पड़ा. उसी साल यूक्रेन के राष्ट्रपति बने पेट्रो पोरोशेंको ने यूरोपियन यूनियन के साथ डील साइन कर ली. और 2014 में रूस ने यूक्रेन के शहर क्रीमिया पर हमला करके कब्जा जमा लिया.

दिसंबर 2021 में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने नाटो की सदस्यता लेने का ऐलान किया. यूक्रेन की इस घोषणा के बाद से ही रूस नाराज है, जो नहीं चाहता है कि यूक्रेन नाटो से जुड़े.

जिसके लिए रूस लगातार कोशिश करता रहा और जब बात नहीं बनी तो रूस ने यूक्रेन पर दबाव बनाने के लिए पिछले कुछ महीनों से लाखों की संख्या में रूसी सैनिक यूक्रेन की सीमा पर तैनात कर दिए.

सवाल 4: आखिर रूस यूक्रेन के नाटो से जुड़ने का विरोध कर क्यों रहा है?

दरअसल, यूक्रेन की रूस के साथ 2 हजार किलोमीटर से ज्यादा लंबी सीमा है. रूस को डर है कि अगर यूक्रेन नाटो से जुड़ा तो नाटो सेनाओं की पहुंच रूसी सीमा तक हो जाएगी. ऐसे में यूक्रेन से लड़ाई की सूरत में नाटो के देश रूस के खिलाफ युद्ध छेड़ सकते हैं, जो रूस की सुरक्षा के लिए कतई अच्छा नहीं होगा. वहीं अगर यूक्रेन NATO में शामिल हो गया, तो रूस की राजधानी मॉस्को की पश्चिमी देशों से दूरी केवल 640 किलोमीटर रह जाएगी. अभी ये दूरी करीब 1600 किलोमीटर है. इसलिए रूस यूक्रेन के नाटो से जुड़ने को लेकर चेतावनी जारी करता रहा है.

सवाल 5: अब आखिरी सवाल अगर रूस-यूक्रेन युद्ध हुआ तो दुनिया पर पड़ेगा क्या असर ?

सबसे पहले तो रूस और यूक्रेन के बीच जंग छिड़ने पर इससे न केवल ये दोनों देश प्रभावित होंगे बल्कि पूरी दुनिया पर इसका असर दिखेगा.

रूस से कच्चे तेल का उत्पादन और सप्लाई बाधित होगी. क्योंकि कच्चे तेल के उत्पादन में रूस की हिस्सेदारी 13% है. इसलिए कच्चे तेल की कीमत में भी इजाफा होगा और पूरी दुनिया में इसकी कीमत बढ़ जाएगी.

नेचुरल गैस सप्लाई – इसमें भी रूस की हिस्सेदारी 40% है. यूरोप की गैस की सप्लाई का एक तिहाई हिस्सा रूस से आता है, जिसमें से ज्यादातर गैस पाइपलाइन यूक्रेन से गुजरती है. इसलिए युद्ध हुआ तो यूक्रेन सप्लाई चेन प्रभावित होगी. जिससे नेचुरल गैस भी महंगी होगी.

अनाज की सप्लाई- दुनिया का करीब 25 % आनाज का निर्यात रूस-यूक्रेन के काला सागर से होकर गुजरता है, इसलिए अनाज की सप्लाई प्रभावित होगी और पूरी दुनिया में अनाज की कीमतों में भी इजाफा होगा.

इसलिए ये युद्ध सिर्फ दो देशों को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित करेगा. तो वहीं अमेरिका बीच में इसलिए आ रहा है क्योंकि हाल ही में अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना को बुलाने के बाद दुनिया में जो किरकिरी हुई है वो अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन यूक्रेन के मुद्दे से अपनी इमेज चमकाना चाहते हैं.

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