UP ELECTION 3RD PHASE, क्या कहता है सियासी समीकरण ? चलेगी साइकिल या खिलेगा कमल
लखनऊ,
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के शुरुआती दो चरण के मतदान खत्म होने के बाद अब बारी तीसरे चरण का चुनाव होना है. तीसरे चरण में यादव बेल्ट और बुंदलेखंड इलाके की 59 सीटों पर 20 फरवरी को वोट डाले जाएंगे. सपा का परंपरागत गढ़ यादव बेल्ट में बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया था. बुंदेलखंड में तो विपक्ष खाता भी नहीं खोल सका था. ऐसे में अखिलेश यादव की असल परीक्षा अब तीसरे चरण में होनी है, जिसके लिए वो खुद भी चुनावी मैदान में हैं.
मुस्लिम के बाद अब यादव बहुल इलाकों में होगा इम्तेहान
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के शुरू के दो चरणों की 113 सीटों पर मतदान खत्म हो चुका है. पहले चरण में जहां जाटलैंड इलाके वाली सीटों पर चुनाव थे. तो दूसरे चरण में मुस्लिम बहुल इलाकों में वोटिंग हुई हैं. वहीं, अब तीसरे चरण में यादव बेल्ट और बुंदेलखंड इलाके की 59 सीटों पर सियासी दलों ने अपनी जोर-आजमाइश शुरू कर दी है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव के लिए सत्ता में वापसी लिए यह चरण सबसे अहम है. तो बीजेपी के लिए भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
कहां होने हैं 20 फरवरी को मतदान ?
तीसरे चरण में 16 जिलों की 59 सीटों पर कुल 627 उम्मीदवार मैदान में है
तीसरे चरण में हाथरस, फिरोजाबाद जिले कासगंज, एटा, मैनपुरी, फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा, औरैया, कानपुर, कानपुर देहात, जालौन, झांसी, ललितपुर, हमीरपुर और महोबा जिले की 59 सीटे हैं
बृज और यादव बेल्ट के 7 जिले तो बुंलेदखंड के भी 5 जिले शामिल हैं.
पिछली बार इन इलाकों में बीजेपी को मिली थी बंपर जीत
2017 के चुनाव में इन 59 सीटों में से 49 सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. जबकि 9 सीट पर सपा और महज एक सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी. तो वहीं बसपा खाता तक नहीं खोल सकी थी. सत्ता में रहने के बावजूद भी सपा ने अपने गढ़ में अपना सबसे खराब प्रदर्शन किया था. और मोदी लहर ने 49 सीटें जीतकर एक नया रिकॉर्ड बनाया. पिछले तीन दशक में किसी भी पार्टी के लिए इस चरण में यह सबसे बड़ी जीत थी.
दोनों ही पार्टियों के बीच होगा कड़ा मुकाबला
तीसरे चरण में बीजेपी के लिए जहां अपनी सीटें बचाने की चुनौती है, तो सपा और बसपा की साख दांव पर होगी. पिछली बार चुनावी नतीजो के देखते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव खुद ही तीसरे चरण में चुनावी मैदान में किस्मत आजमाने के लिए मैनपुरी जिले की करहल सीट से उतरे हैं. और उनके चाचा शिवपाल यादव इटावा के जसवंतनगर सीट से ताल ठोक रहे हैं. अखिलेश यादव के सामने अपने गढ़ में खिसके सियासी आधार को दोबारा से हासिल करने की है.
बुंदेलखंड के जिन जिलों की सीटों पर चुनाव हैं. वहां पर पिछली बार सपा-बसपा-कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी. जबकि, 2012 के चुनाव में सपा ने इन जिलों में क्लीन स्वीप किया था. सपा को तीसरे चरण में तब 37 सीटें मिली थीं. और 2017 में महज 9 सीटें ही मिली. यहां पर बीजेपी का गैर-यादव ओबीसी कार्ड काफी सफल रहा था.
इन इलाकों में कौन से मुद्दों को बनाया जा रहा हथियार ?
हाथरस के दलित युवती के साथ बलात्कार और हत्या
प्रशासनिक मशीनरी का व्यवहार बना राष्ट्रीय मुद्दा
इत्र नगरी कन्नौज पर छापेमारी
विकास दुबे पुलिस एनकाउंटर
बेरोजगारी
किसानों की बर्बाद होती फसल
आवारा पशुओॆ से परेशान किसान
दांव पर लगी हाईप्रोफाइल नेताओं की साख
अखिलेश यादव और शिवपाल यादव ही नहीं, बल्कि योगी सरकार के कई दिग्गज मंत्रियों की साख भी तीसरे चरण में दांव पर लगी है
- अखिलेश के खिलाफ केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल करहल सीट से चुनाव लड़ रहे हैं…
- फार्रुखाबाद सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद कांग्रेस से चुनाव लड़ रही हैं…
- कभी बसपा का ब्राह्मण चेहरे रहे रामवीर उपाध्याय ने बीजेपी के टिकट पर सादाबाद सीट से ताल ठोक रखी है.
- कानपुर की महाराजपुर सीट पर योगी सरकार के मंत्री सतीश महाना की साख दांव पर लगी है.
- IPS की नौकरी छोड़कर सियासी पिच पर बीजेपी प्रत्याशी के रूप में उतरे असीम अरुण का भी इम्तेहान है.
- सिरसागंज सीट पर मुलायम सिंह यादव के समधी हरिओम यादव बीजेपी से चुनाव लड़ रहे हैं
- कानपुर के किदवई नगर सीट कांग्रेस के दिग्गज नेता अजय कपूर फिर से मैदान में उतरे हैं.
- सीसामऊ सीट पर हाजी इरफान सोलंकी हैट्रिक लगाने के लिए उतरे हैं.
कुल मिलाकर तीसरा चरण दोनों ही पार्टियों के लिए चुनौतियों से भरा है. एक तरफ अखिलेश को खुद को सफल रणनीतिकार साबित कर सत्ता पर काबिज होना है तो दूसरी तरफ योगी सरकार को अपने मत्रियों की साख बचानी है और 2017 जैसा पिच तैयार कर हैट्रिक लगानी है. और एक बार फिर सत्ता पर काबिज होना है. इसलिए इस चरण में हर पार्टी ने बिसात पर फूंक फूंक कर मोहरे बैठाएं है. लेकिन किसकी शह होगी और किसकी मात. ये तो 10 मार्च को नतीजे ही बताएंगे.