June 29, 2024

मोदीराज में सबसे बड़ा घोटाला, ABG शिपयार्ड कंपनी ने लगाया 28 बैंकों को चूना, नीरव-मोदी को छोड़ा पीछे

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ABG शिपयार्ड स्कैम

अब तक के देश में बैंक धोटाले के मामले में नीरव मोदी और विजय माल्या का ही नाम सामने आता था. लेकिन अब देश के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला सामने आया है. ये घोटाला सूरत बेस्ड कंपनी एबीजी शिपयार्ड ने किया है. जिसमें 22,842 करोड़ रुपये का घोटला हुआ है. जिसे लेकर अब विपक्ष हमलावर हो गया है. हालांकि सीबीआई ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए कंपनी के पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल समेत 8 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड ने देश की अलग-अलग 28 बैंकों से कारोबार के नाम पर 2012से 2017 के बीच कुल 28,842 करोड़ रुपये का कर्जा लिया था.

इन लोगों पर किया गया मामला दर्ज
ऋषि कमलेश अग्रवाल

संथानम मुथास्वामी- कार्यकारी निदेशक

अश्विनी कुमार- निदेशक

सुशील कुमार अग्रवाल – निदेशक

रवि विमल नेवेतिया – निदेशक

वहीं एक अन्य कंपनी एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ भी कथित रूप से आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और आधिकारिक दुरुपयोग जैसे अपराधों के लिए मामला दर्ज किया. रिपोर्ट के मुताबिक, इन लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा किया गया है. बता दें कि सीबीआई की एफआईआर के अनुसार घोटाला करने वाली दो प्रमुख कंपनियों के नाम एबीजी शिपयार्ड और एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड हैं. दोनों कंपनियां एक ही समूह की हैं.

बैंकों ने दर्ज कराई थी 2020 में नई शिकायत:

सबसे बड़ी इस धोखाधड़ी के मामले में पहली बार शिकायत साल 2019 में दर्ज कराई गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक, 8 नवंबर 2019 को 28 बैंकों के प्रतिनिधियों ने CBI न पहली बार इस बड़े घोटाले को लेकर ABG शिपयार्ड के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. 2020 में सीबीआई ने इस शिकायत के मामले में कुछ सफाई मांगी, जिसके बाद अगस्त 2020 में बैकों ने दोबारा संशोधित शिकायत सीबीआई को भेजी. डेढ़ साल मामले की जांच करने के बाद आखिरकार सीबीआई ने बीती 7 फरवरी 2022 को एफआईआर दर्ज की. इस मामले में सूरत, मुंबई और पुणे समेत कंपनी के 13 ठिकानों पर छापेमार कार्रवाई की.

कंपनी का क्या है कारोबार?

बता दें कि ABG शिपयार्ड लिमिटेड की शुरुआत साल 1985 में हुई थी. गुजरात के दाहेज और सूरत में एबीजी समूह की यह शिपयार्ड कंपनी पानी के जहाज बनाने और उनकी मरम्मत का काम करती है. अब तक यह कंपनी 165 जहाज बना चुकी है. इस कंपनी ने 1991 तक तगड़ा मुनाफा कमाते हुए देश-विदेश से बड़े ऑर्डर हासिल किए. लेकिन 2016 में कंपनी को 55 करोड़ डॉलर से ज्यादा का भारी नुकसान हुआ और हालात बदल गए. फिर बैंकों ने अपनी हालात दिखाते हुए कंपनी ने बैंकों से कर्ज लिया और इस सबसे बड़े घोटाले को अंजाम दिया.

कंपनी पर किन बैंकों पर कितना बकाया?

बैंक का नाम बकाया
ICICI7,089 करोड़ रुपये
IDBI3,634 करोड़ रुपये
STATE BANK OF INDIA2,468.51 करोड़ रुपये
BANK OF BARODA1,614 करोड़ रुपये
PNB1244 करोड़ रुपये
IOB1,228 करोड़ रुपये

देश का सबसे बड़े घोटाले को भुनाने में लगा विपक्ष

ABG शिपयार्ड कंपनी के 22 हजार करोड़ से ज्यादा के घोटाले के सामने आने के बाद विपक्ष मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है. इस घोटाले को लेकर कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने बीजेपी सरकार को जमकर घेरा और आरोप लगाया कि सरकार जनता का पैसा लुटाओ, फिर भगाओ की रणनीति पर काम कर रही है. इसी के तहत लगातार घोटाले हो रहे हैं और आरोपी देश छोड़कर विदेश भाग रहे हैं. विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे लोग देश छोड़कर भाग रहें हैं. वहीं सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि मोदी काल में अबतक 5,35000 करोड़ रुपये के बैंक फ्रॉड हो चुके हैं. 75 सालों में जनता के पैसे की ऐसी धांधली कभी नहीं हुई. लूट और धोखे के ये दिन सिर्फ मोदी के मित्रों के लिए अच्छे दिन हैं.

भाजपा ने दिया जवाब

कांग्रेस के प्रवक्ता सुरजेवाला ने सरकार से कहा कि, एबीजी शिपयार्ड ओर उसके प्रमोटरों ने भारत की सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी को अंजाम दिया है. जिससे मोदी सरकार में सत्ता शीर्ष पर बैठे लोगों का सहअपराध, सांठ-गांठ और मिलीभगत साफ दिखता है. साथ ही सुरजेवाला ने सवाल उठाया, कि आखिर दिवालिया प्रक्रिया शुरू होने के बाद मामला मोदी सरकार को FIR दर्ज करने में 5 साल का समय क्यों लगा?. जिसपर भाजपा के पार्टी प्रवक्ता सैयद जफर इस्लाम ने कहा कि एबीजी शिपयार्ड को लोन यूपीए सरकार में दिया गया था जबकि मोदी सरकार ने इस चोरी को पकड़ा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस का सरकार पर हमला ऐसा ही है जैसे चोर, पुलिस को अपराध का जिम्मेदार ठहरा रहा हो. सारा पैसा 2014 में मोदी सरकार के आने से पहले ये पैसे दिए गए और एनपीए भी मोदी सरकार बनने से पहले ही हो गए थे.

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