October 6, 2024

आखिर क्यों मनाया जताया है देश में हिंदी दिवस, हमारी जिंदगी में क्या है इसका महत्व

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नमन सत्य ब्यूरो

देशभर में 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। जिसके लेकर पीएम मोदी समेत कई राजनेताओं ने भी देशवासियों को मंगलवार को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं दी है। लेकिन क्या आप जानते है कि हमारे देश में हिंदी ने कहा से जन्म लिया और कहा से इसे राष्ट्रभाषा घोषित किया गया। अगर नही तो आइये जानते है, कि आखिर क्या वजह रही की देश में हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित करना पड़ा।
दरअसल 6 दिसंबर 1946 को भारत ने अपने संविधान के ढांचे को तैयार कर लिया था। देश की आजादी के दो साल बाद 26 नवंबर 1949 को भारत में संविधान को अंतिम रूप दिया गया और इस संविधान को लागू करने को मंजूरी भी दे दी गई। हालांकि इसे लागू 26 जनवरी 1950 में किया गया था। इन सबके बावजूद भारत को अब तक अपनी राष्ट्रभाषा नही मिल सकी थी। उस दौरान जो जिस भाषा में बोलना आसान समझता था। उसी भाषा में बोलना शुरू कर देता था। जिसको लेकर लोगों को एक दूसरे से बात करने में भी काफी परेशानी होती थी। तो वही सरकार भी इस बात को लेकर काफी गंभीर रहती थी। लिहाजा उस दौरान सरकार ने भारत के लिए हिंदी और अंग्रेजी दोनो भाषा को राष्ट्रभाषा के तौर पर ऐलान करने का फैसला लिया। हालांकि संविधान सभा ने केवल हिंदी को ही राष्ट्रभाषा बनाने का समर्थन किया। उसके बाद 14 सितंबर 1949 को देश में हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित कर दिया गया, और तभी से देश में हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिल गया, और उसके बाद 14 सितंबर 1953 को देश में वर्तमान प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु के नेतृत्व में पहला हिंदी दिवस मनाया गया। तब से लेकर अब तक देश में हिंदी दिवस मनाया जाता है।

क्यों दी जाती है इंग्लिश को तवज्जो

भले ही देश में हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा मिल चुका हो, लेकिन आज भी कहीं ना कहीं अंग्रेजी भाषा हिंदी से उपर ही देखने को मिलती है। कॉलेज से लेकर ऑफिस तक हिंदी से ज्यादा अंग्रेजी भाषा को तवज्जो दी जाती है। हालांकि कई बार राजनेताओं और देश के खिलाड़ियों समेत अन्य लोगों द्वारा हिंदी को बढ़ावा देने की कोशिश की जाती रही है। हाल ही में टोक्यो ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा ने भी एक इंटरव्यू के दौरान हिंदी में बात करने पर जोर दिया था। बरहाल देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंदी दिवस पर सभी देशवासियों को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं दी हैं और इसके साथ ही हिंदी को बढ़ावा देने की अपील भी की है।

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