September 30, 2024

जातीय जनगणना बनी केंद्र की मुसीबत बीजेपी नेता ही उठाने लगे मुद्दा

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नई दिल्ली, ब्यूरो

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बाद अब बीजेपी नेता भी जातीय जनगणना की मांग करने लगे हैं। जिसको लेकर अपना दल की प्रमुख अनुप्रिया पटेल ने ना सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी से जातीय जनगणना करवाने का अनुरोध किया है बल्कि राजनाथ सिंह पर भी निशाना साधा है। अनुप्रिया पटेल ने कहा कि साल 2018 में राजनाथ सिंह ने कहा था की 2021 की जनगणना के दौरान जातीय जनगणना भी कराई जाएगी, हालांकि अब राजनाथ सिंह अपने दिए हुए खुद वादे को ही भूल गए हैं। दरअसल हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव समेत 10 दलों ने प्रधानमंत्री मोदी से जाति जनगणना को लेकर मुलाकात की थी। वही बीजेपी नेता संघमित्रा मौर्य, सुशील कुमार मोदी और अब अनुप्रिया पटेल ने भी जातीय जनगणना के समर्थन में आवाज उठाई है।

राज्य स्तर की पार्टियां क्यों कर रही हैं जातीय जनगणना के मांग?

दरअसल राज्य में राज्य स्तर की पार्टियों का अपना दबदबा होता है। तो वही इन पार्टियों के अपने कैडर के वोट भी फिक्स होते हैं। ऐसे में ये राज्य स्तर की सभी राजनीतिक पार्टियां जाति के आधार पर अपने वोट को लुभाने की कोशिश करती है। फिलहाल अब तक पिछड़ा वर्ग की जनगणना नहीं हो सकती है केवल एससी एसटी की जनगणना होती रही है। लिहाजा सभी राजनीतिक पार्टियां अनुमान अनुसार थोड़ा कम ज्यादा करके अपने वोटरों को प्रदेश में मानती हैं और उन्हीं को लुभाने की कोशिश में लगी रहती है, अगर जातीय जनगणना हो जाती है तो फिर राज्य स्तर की पार्टियों को चुनाव के दौरान वोटरों को साधने में कोई भी तकलीफ नहीं होगी क्योंकि यह सभी राजनीतिक पार्टियां इन्हीं आंकड़ों के अनुसार राज्य में चुनाव लड़ेंगे और अपने वोट बैंक पर जोर देंगी।

केंद्र के लिए मुसीबत बन सकती है जातीय जनगणना

एक तरफ लगातार जातीय जनगणना की मांग उठ रही है तो वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार जातीय जनगणना कराने के पक्ष में नजर नहीं आ रही। दरअसल इसके पीछे यह माना जा रहा है कि जाति जनगणना कराने के बाद कई मुसीबतें केंद्र सरकार के सामने आ सकती हैं उनका खामियाजा उन्हें चुनाव के दरमियान सकता है। ऐसे में सबसे बड़ी समस्या केंद्र के सामने आरक्षण की होगी। जनगणना सामने आने के बाद पिछड़ा वर्ग या फिर अन्य वर्ग केंद्र के लिए भी मुसीबत बन सकते हैं, क्योंकि अगर जनगणना के अनुसार पिछड़ा वर्ग को ज्यादा आरक्षण मिला होगा यानी कि पिछड़ा वर्ग सरकारी नौकरी और सरकारी योजना का लाभ ज्यादा ले रहे होंगे तो ऐसे में अन्य वर्ग केंद्र सरकार से उन्हें आरक्षण से ज्यादा मिलने पर आवाज उठाएगा और अगर पिछड़े वर्ग को आरक्षण से कम योजना का लाभ मिल रहा होगा तो पिछड़ा वर्ग सरकार से आवाज उठाएंगी। लिहाजा केंद्र सरकार जाति जनगणना कराने के मूड में नजर नहीं आ रही है।

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