October 6, 2024

SC के आदेशों के बावजूद योगी सरकार ने 77 केस लिए वापिस

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दिल्ली ब्यूरो

10 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश पारित किया था। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अब कोई भी राज्य सरकार अपने अनुसार किसी भी नेता या मंत्री के मुकदमे वापस नहीं ले सकेगी। इसके लिए उच्च न्यायालय का हस्तक्षेप जरूरी होगा। उत्तर प्रदेश सरकार ने साल 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे मामले में 77 केस वापस लिए हैं। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के न्याय मित्र नियुक्त किए गए विजय हंसारिया ने कहा कि सरकार ने सीआरपीसी 321 के तहत जिन 77 मुकदमों को वापस लिया है। वह बेहद ही गंभीर धारा के मुकदमे हैं। जिसमें धारा 397 डकैती के मुकदमे समेत उम्र कैद की सजा तक के मुकदमे शामिल हैं। विजय हिंसारिया ने कहा कि सरकार ने इसके पीछे कोई ठोस वजह भी नहीं बताई और मुकदमे वापस ले लिए। वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि सरकार ने पूरी जांच के बाद ही मुकदमों को वापस लिया है। फिलहाल विजय हंसारिया ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कोर्ट ने जो आदेश पारित किए थे। ऐसे में सीआरपीसी 401 के तहत इन 77 मुकदमों की जांच होनी चाहिए।

क्या है पूरा मामला समझिए

साल 2013 में उत्तर प्रदेश के मेरठ जोन के 5 जिलों में दंगे हुए थे। जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार ने 6869 लोगों को आरोपी माना था। इसके साथ ही 510 लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए थे। जिसमें से अब तक उत्तर प्रदेश पुलिस ने 175 मामलों में चार्ज शीट दाखिल कर दी है। 165 मामलों में फाइनल रिपोर्ट लगा दी है और इसके अलावा 175 मामलों में आरोप साबित नहीं हो सका था।

इन सरकारों ने इतने मुकदमे किए वापस

कर्नाटक सरकार ने 62 केस, तमिलनाडु सरकार ने 4 केस, तेलंगाना सरकार ने 14 और केरल ने 36 मुकदमें किये वापस। फिलहाल अब देखने वाली बात यह होगी अब कि क्या सुप्रीम कोर्ट अब उत्तर प्रदेश सरकार के वापस लिए गए 77 मामलों की जांच करेगी या फिर इसके लिए उच्च न्यायालय को आदेशित किया जाएगा या फिर ये मामला यूं ही ठंडे बस्ते में चला गया।

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