October 6, 2024

जन्मदिन विशेष: हैप्पी बर्थ डे प्रिंस ऑफ कोलकाता, सौरव गांगुली

0

जैसा की हम सबको पता है कि साल में 12 महीने होते हैं। ऐसे में जुलाई का कैलेंडर उठाए और महीने की पहली 10 तारीख पर नजर दौडाईए तो उसमें कुछ आपको अलग ही दिखाई देगा। हालांकि इसके लिए आपको क्रिकेट का फैन होना जरूरी है, क्योंकी अगर आप क्रिकेट की जानकारी नही रखते है तो आपको वो खास 10 तारीखें भी समझ नही आयेगी। आपको बता दे कि इस महिने की ये तारीखें और ये महीना हर साल और हर तारीखों की तरह आम होता है लेकिन अगर आप क्रिकेट के फैन हैं तो जुलाई की पहली 10 तारीख आपके लिए बेहद खास होंगी। जिसमें 7,8,10 जुलाई तो बेहद ही खास है। ऐसा इसलिए क्योंकि 7 जुलाई को भारत के सबसे सफलतम कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का जन्मदिन होता है। उसके ठीक 1 दिन बाद यानी 8 जुलाई को भारत के सबसे एग्रेसिव कप्तान प्रिंस ऑफ कोलकाता सौरव गांगुली का जन्मदिन होता है, और ठीक इसके 1 दिन बाद 10 जुलाई को विश्व क्रिकेट के महानतम बल्लेबाज सुनील गावस्कर का जन्मदिन होता है। तो हुआ न जुलाई का महीना बेहद खास। हालांकि आज 8 जुलाई है तो ऐसे में बात सौरव गांगुली की करनी बेहद जरूरी है क्योंकि आज बंगाल के टाईगर का जन्मदिन जो है।

सौरव के पसंद नही था क्रिकेट

सौरव गांगुली का जन्म 8 जुलाई 1972 को बंगाल में हुआ था। हालांकि वह बचपन से क्रिकेट के शौकीन नहीं थे। आम बंगाली की तरह उन्हें भी फुटबॉल खेलना बेहद पसंद था। लेकिन जब बड़े भाई स्नेहाशीष गांगुली ने जब क्रिकेट खेलना शुरू किया तो सौरभ गांगुली भी क्रिकेट की तरफ आ गये और बस फिर यहीं से प्रिंस ऑफ कोलकाता के क्रिकेट कैरियर के सफर की शुरुआत हुई। जिसके बाद 1992 में सौरव गांगुली ने भारतीय क्रिकेट में पदार्पण किया, हालांकि खराब प्रदर्शन के कारण उन्हें बाहर कर दिया गया। लेकिन कहा यह भी जाता है कि सौरव गांगुली ने उस वक्त एक्स्ट्रा प्लेयर के तौर पर मैदान पर पानी पिलाने और बाकी सामान ले जाने से मना कर दिया था। जिसके बाद सौरव गांगुली को टीम से बाहर कर दिया गया था। वही सौरव गांगुली इस दावे को खारिज पहले ही खारिज कर चुके है। गौरतलब है कि सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट में खेलने वाले खिलाड़ियों में सबसे रईस परिवार से आते थे। जब उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू किया तो अपने रईसी का घमंड अपने खेल पर नहीं पड़ने दिया।

इस बीच 1992 से टीम से बाहर निकाले जाने के बाद सौरव गांगुली ने जमकर मेहनत की और रणजी में रनों का अंबार खड़ा किया। जिसके चलते 1996 में उन्हें इंग्लैंड दौरे के लिए चुन लिया गया और बस समझ लीजिए कि यहां से भारतीय क्रिकेट को एक नया हीरा मिल गया। हालांकि कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन सौरव गांगुली को टीम में लेने के पक्ष में जरा भी नहीं थे। इसी वजह से शुरुआत के मैचों में सौरभ को अंतिम 11 में जगह नहीं मिली। उसी दौरान नवजोत सिंह सिद्धू ने मैच के दौरे पर मोहम्मद अजहरुद्दीन के साथ बदतमीजी की जिसके चलते उन्हें बीच में ही वापस भारत लौटना पड़ा। तब मजबूरी में सौरव को लॉर्ड्स टेस्ट में डेब्यू कराया गया। बस सौरभ को शायद इसी दिन का इंतजार था। सौरभ गांगुली ने क्रिकेट का मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स पर ऐसी बल्लेबाजी की, जो भी देख रहा था उसे बस हैरानी हो रही थी कि क्या यह वही लड़का है, जो 4 साल पहले भारतीय टीम में आया था। सौरव गांगुली ने अपने डेब्यू टेस्ट में शतक जड़कर ऐलान कर दिया कि आने वाला वक्त उनका है और वह बादशाह है। इस बीच अपने पहले दोनों टेस्ट में सौरव गांगुली ने शतक ठोक कर टीम में अपनी जगह पक्की कर ली। इसके बाद से यह कारवां चलता गया।  उसके अगले 12 साल तक सौरव गांगुली ने भारतीय क्रिकेट पर प्रिंस की तरह राज किया। इस दौरान उन्होंने 113 टेस्ट में 7212 रन बनाए, वही 311 वनडे में 11363 रन ठोक डाले। टेस्ट में उनके बल्ले से 16 शतक और 35 अर्धशतक निकले, तो वही वनडे में 22 शतक और 72 अर्धशतक बनाए। इसके अलावा जब भी उन्होंने गेंद संभाली उसमें भी टीम को निराशा नही किया, कुल मिलाकर अपने टेस्ट कैरियर में उन्होंने 32 विकेट लिए, तो वनडे में उन्होंने 100 विकेट चटकाए। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि सौरव गांगुली एक शानदार ऑलराउंडर थे।

आसान नही थी सौरभ की डगर

क्रिकेट के इस सफर में सौरभ ने कई परेशानियां देखी। दरअसल 1999 में जब भारतीय टीम पर मैच फिक्सिंग का आरोप लगा तो टीम पूरी तरीके से बिखर चुकी थी। कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन पर बैन लग गया। जिसके बाद सचिन तेंदुलकर ने कप्तानी की जिम्मेदारी संभाली। हालांकि वह कभी भी अपनी कप्तानी में भारत को ज्यादा जीत नहीं दिला सके। इसीलिए उन्होंने कुछ दिन बाद कप्तानी छोड़ दी। साल 2000 में सौरव गांगुली ने भारतीय टीम की कप्तानी संभाली है। इस बीच बिखरती हुई टीम को सौरभ ने संभाला और 2003 के विश्व कप में फाइनल तक ले गए। हालांकि किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। लिहाजा मजबूत ऑस्ट्रेलिया के सामने भारत को हार का सामना करना पड़ा। उस वक्त सौरभ ने अपनी टीम में वो जज्बा भर दिया था कि, वह किसी भी टीम से, कभी भी, किसी भी वक्त और किसी भी मैदान पर टक्कर देने के लिए तैयार थी। इस बीच सौरव गांगुली ने युवराज सिंह, वीरेंद्र सहवाग, जहीर खान जैसे खिलाड़ी तैयार किए और उनमें हर परिस्थिति में लड़ने का जज्बा भरा। यह कहना गलत नहीं होगा कि सौरव गांगुली ने भारतीय टीम को विदेशों में लड़ना सिखाया, बाद में उसी लड़ाई को महेंद्र सिंह धोनी ने जीत की आदत में तब्दील किया था।

जीत की खुशी में टी शर्ट उतारकर लहराई

सौरभ के इस क्रिकेट सफर में कई नए कीर्तिमान जुड़े, कई विवाद जुड़े और कई दिलचस्प कहानियां भी जुड़ी। उसी में से एक है लॉट्स की बालकनी में इंग्लैंड के सामने टी शर्ट उतारकर लहराना।

 दरअसल हुआ यूं कि जब 2002 में इंग्लैंड की टीम भारत आई थी, तो मुंबई के वानखेड़े में सीरीज जीतने के बाद एंड्रयू फ्लिंटॉफ ने अपनी टीशर्ट उतार कर पूरे मैदान पर चक्कर लगाया था। यह बात सौरव गांगुली को काफी चुभ गई थी। जिसके बाद लॉर्ड्स में फाइनल मुकाबला जीतने के बाद सौरभ गांगुली ने बालकनी में खड़े होकर टी शर्ट उतारकर पूरी दुनिया के सामने लहरा कर अपमान का बदला लिया था। हालांकि सौरव ने बाद में कहा था कि, मुझे ऐसा करने पर काफी पछतावा हुआ था और मुझे इस बात का बाद में अफसोस भी हुआ। मैं किसी और तरीके से खुशी जाहिर कर सकता था, लेकिन क्रिकेट का जुनून मुझ पर इस कदर हावी था कि मैंने फ्लिंटॉफ को उन्हीं के अंदाज में जवाब देना बेहतर समझा।

हालांकि इसके अलावा भी सौरव गांगुली की जिंदगी के कई अहम किससे है। उसमें चाहे विपक्षी टीम के किसी प्लेयर को जवाब देना हो, विपक्षी टीम के कप्तान को टॉस के लिए इंतजार करवाना हो, या जबरदस्ती थोपे गए किसी ड्रेसिंग कोड को दरकिनार कर अपने ड्रेसिंग कोड में पहुंचना हो। ऐसे तमाम किस्से कहानियां सौरव गांगुली के क्रिकेट कैरियर से जुड़े हैं।

प्रेमिका डोना के साथ घर से भाग गए थे सौरभ

साल 1996 के सफलतम टूर के बाद सौरभ गांगुली काफी मशहूर हो चुके थे। हालांकि जब लौटे तो उनका मन अपनी प्रेमिका डोना गांगुली से शादी करने का था। लेकिन सौरभ और डोना का परिवार एक दूसरे का दुश्मन था। ऐसे में दोनों की शादी होना नामुमकिन ही लग रहा था। हालांकि सौरव गांगुली ने डोना से बात की और इंग्लैंड से लौटते ही उन्हें लेकर घर छोड़कर बाहर चले गए। ऐसे में परिवार वालों को जब पता चला कि दोनों साथ में भाग गए हैं, तो काफी हंगामा मच गया, बवाल हुआ, दोनों परिवारों में तनातनी और बढ़ी। आखिरकार बच्चों के खातिर काफी मशक्कत के बाद दोनों परिवारों ने शादी के लिए हामी भर दी और दोनों की शादी कर दी गई। शादी के 3 साल बाद 2001 में सौरव गांगुली के घर में एक परी का जन्म हुआ। जिसका नाम सना रखा गया। सना भी अपनी मां की तरह ही क्लासिकल डांसर है।

हालांकि सौरव गांगुली की जिंदगी में कई कहानियां है, ऐसे में अगर वह सब कहानियां साझा की जाए तो वक्त और कहानियां खत्म ही नहीं होंगी, क्योंकि सौरभ गाथा इतनी बड़ी है कि, जिसको दो, चार, पांच मिनट में बताया नहीं जा सकता है। फिलहाल सौरव गांगुली 49वां जन्मदिन मना रहे हैं। ऐसे में हम सब की तरफ से अपने दादा, प्रिंस ऑफ कोलकाता, सौरव गांगुली को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं, ईश्वर उन्हे दीर्घायु करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *