December 6, 2024

उत्तराखंड: नए सीएम के बनते ही पार्टी के वरिष्ठ नेता नाराज, पतन की और बढ़ रही है BJP सरकार?

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PUSHKAR SINGH DHAMI AND SATPAL MAHARAJ

उत्तराखंड ब्यूरो

रविवार को CM धामी के साथ 11 अन्य विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली। जिसमें सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत, बंसीधर भगत, यशपाल आर्या, बिशन सिंह चौपाल, सुबोध उनियाल, धन सिंह रावत, अरविंद पांडे, गणेश जोशी, रेखा आर्या और स्वामी यतीश्वरानंद शामिल हैं। गौरतलब है की शुक्रवार को तीरथ सिंह रावत ने ‘संवैधानिक संकट’ का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

वहीं शपथ ग्रहण समारोह से पहले काफी गहमागहमी दिखी। क्यूंकि इस बात की किसी को भी उम्मीद नहीं थी सीएम के लिये पुष्कर सिंह धामी के नाम का ऐलान किया जायेगा। वही पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के करीबियों का मानना था कि इस बार सतपाल महाराज या फिर धन सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। हालांकि ऐसा नहीं हुआ और धामी के नाम का ऐलान कर दिया गया। जिसके बाद सियासी हलकों में खलबली मच गई। उस दौरान धामी के नाम का एलान होते ही कई विधायक नाराज होकर बैठक छोड़ कर बीच में ही निकल गए थे। इनमें सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत, यशपाल आर्या शामिल थे। पार्टी के कई वरिष्ठ नेता अब इस बात से भी नाराज हैं कि उन्हें धामी के साथ काम करना होगा। जबकि धामी के पास प्रशासनिक अनुभव की कमी है।

वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि “हमारी पार्टी में संवैधानिक प्रक्रिया और लोकतंत्र है, लेकिन पार्टी समय और परिस्थितियों के आधार पर फैसला लेती है। कई वरिष्ठ नेता जो मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। वो मुझसे कहीं ज्यादा सक्षम हैं। मैं राज्य और पार्टी के हितों को आगे बढ़ाने के लिए उनके साथ काम करूंगा.”

फिलहाल अब धामी के सीएम बनने के बाद उत्तराखंड बीजेपी में कई वरिष्ठ नेता पार्टी के इस फैसले से बेहद नाराज है। सूत्रों के हवाले से ये भी खबर है कि, रविवार को शपथ ग्रहण में सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत और यशपाल आर्या जैसे नेता समारोह में शामिल नहीं होने का मन बना चुके थे। हालांकि बाद में ये नेता अलाकमान के आदेश पर कार्यकर्म में शामिल हुए। इन सबके बीच सवाल अभी भी वही है कि, ये सब कब तक ठीक रहेगा?

क्योंकि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में अब कुछ महीने का ही वक्त बचा है। ऐसे में नए सीएम पुष्कर सिंह धामी को अब काम करना होगा और अपने सहयोगियों के साथ-साथ वोटरों का भरोसा भी जीतना होगा। नही तो ये भी हो सकता है कि कुछ नेता नाराजगी के चलते पार्टी का दामन छोड़ दें। फिलहाल पूरे मामले पर पार्टी के सूत्र कहते हैं, अभी इंतजार करने का वक्त है, कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।

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