July 1, 2024

यूपी जिला पंचायत अध्यक्ष परिणाम: BJP में ठाकुरों का वर्चस्व, तो सपा में यादवों का रूतबा बरकरार, प्रदेश का जातीय समीकरण बेहद दिलचस्प

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नमन सत्य न्यूज ब्यूरो

यूपी में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के परिणाम 3 जुलाई को आ चुके है। इस दौरान 75 जिलों में से 66 जिलों में बीजेपी ने जीत का परचम लहराया है। वहीं समाजवादी पार्टी को 5 जिलों में जीत मिली है। ऐसे जीत दर्ज करने वाले का जातीय आंकड़ा काफी दिलचस्प है।

दरअसल उत्तर प्रदेश में हुए जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में जीतने वालों का जातीय आंकड़ा देखें तो, सबसे ज्यादा 16 जिला पंचायत क्षत्रिय समाज से जीतकर आए हैं, जिनमें 15 बीजेपी के टिकट पर जीते हैं। इसके बाद यादव, कुर्मी और जाट समाज के उम्मीदवारों को जीत मिली है, लेकिन इनका आंकड़ा दहाई तक नहीं पहुंच सका है। वहीं, सपा ने पांच जिला पंचायत सीटों पर जीत दर्ज की, इन पांचों सीट पर यादव समुदाय के नेताओं को ही जीत मिली है। इस तरह से बीजेपी में क्षत्रियों का दबदबा कायम है, तो सपा में यादवों का वर्चस्व बरकरार है। गौरतलब है कि यूपी में बीजेपी का कोर वोट बैंक क्षत्रिय, ब्राह्मण और वैश्य समुदाय है। वही जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी से 25 अगड़ी जाति के लोग चुनकर जिला पंचायत अध्यक्ष बने हैं। हालांकि, इस बार सबसे ज्यादा 16 क्षत्रिय समुदाय के प्रत्याशी जीते हैं। जिनमें 15 बीजेपी से और एक निर्दलीय है। इसके अलावा बीजेपी से 6 ब्राह्मण, दो भूमिहार और दो वैश्य समुदाय के जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीते है। दिलचस्प बात यह है कि ब्राह्मण की आबादी यूपी में क्षत्रिय समुदाय से कहीं ज्यादा है, लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष की संख्या आधी भी नही है। वहीं यूपी जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में क्षत्रिय समुदाय के बाद सबसे ज्यादा कैंडिडेट यादव समुदाय से जीते हैं। इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में 9 कैंडिडेट यादव समुदाय से जीतकर आए हैं। जिनमें चार बीजेपी और पांच समाजवादी पार्टी से जीते हैं।

वहीं सबसे दिलचस्प बात ये है कि, समाजवादी पार्टी से इस बार पांच जिला पंचायत अध्यक्ष ही बने सके है और पांचों ही यादव समुदाय से हैं।

अब ऐसे में यूपी की सियासत में सपा का कोर वोटबैंक यादव है, तो योगी के सीएम बनने के बाद क्षत्रिय बीजेपी का हार्डकोर वोटर बन गया है। यूपी में करीब 10 फीसदी यादव मतदाता हैं। जबकि क्षत्रिय मतदाता लगभग 7 फीसदी हैं। इसके बाद भी 16 क्षत्रिय जिला पंचायत अध्यक्ष बने हैं। वहीं, ब्राह्मणों की आबादी 10 फीसदी के करीब है। जिनमें 6 जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं। वहीं कुर्मी समुदाय की आबादी 7 फीसदी के करीब है, लेकिन कुर्मी समुदाय से 8 जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं। इसके अलावा अबकी जाट समुदाय ने भी अपनी तरफ ध्यान खींचा है, क्योंकि यूपी में महज 3 फीसदी के करीब जाट हैं, लेकिन जाट समुदाय से 8 जिला पंचायत अध्यक्ष बनने में कामयाब रहे। इतना ही नहीं, गुर्जर समुदाय से भी तीन जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं। साथ ही दो कैंडिडेट भूमिहार और दो वैश्य समाज से जीते हैं। इसके अलावा 2 सीट लोध और चौरसिया समुदाय ने जीती है। वहीं लोहार, कश्यप, मौर्य और शाक्य समाज से एक-एक जिला पंचायत अध्यक्ष चुनकर आए हैं। इसके अलावा 15 दलित समाज से बीजेपी के टिकट पर जिला पंचायत अध्यक्ष बने हैं। जिनमें सबसे ज्यादा 4 पासी, 3 धोबी और 3 कोरी समुदाय से जीतकर आए हैं। इसके अलावा औरया में दोहरे समाज का जिला पंचायत अध्यक्ष चुना गया है। वही चित्रकूट में जाटव, तो कौशांबी में खटिक समुदाय को जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में जीत मिली है।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव जातीय समीकरण पर लड़ जाता रहा है। ऐसे में अगले आगामी चुनाव से पहले सेमीफाइनल माने जा रहे जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव से तस्वीरें कुछ साफ नजर होती आ रही है। जिसके आधार पर अब पार्टियां अपना जातीय समीकरण साधने की कोशिश में जुटेंगी।

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