December 5, 2024

मजबूर मां की कहानी: आर्थिक तंगी और भूख से परेशान मां ने 2 साल की बच्ची को मिट्टी मे जिंदा दफनाया

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majboor maa ki kahani

हरदोई संवाददाता

कहते हैं कि लाचारी, बेबसी और गरीबी कुछ भी करवा देती है। जिसकी बानगी हरदोई में देखने को मिली है। जहां एक मजबूर मां ने अपने 2 साल के बच्ची को आर्थिक तंगी और भूख से परेशान होकर नदी किनारे जिंदा मिट्टी में दफना दिया। इस मां की दर्द भरी कहानी बस इतनी ही नहीं है इसके आगे आप इस मजबूर औरत की कहानी सुनेंगे तो शायद रो देंगे। लगभग 12 साल पहले इस महिला के मां बाप ने महज 60 हजार रुपए में इसे हरदोई के लोनार थाना क्षेत्र स्थित सकरौली गांव के रहने वाले भगवानदीन नामक व्यक्ति को बेच दिया था। जिसके बाद भगवानदीन राजकुमारी को बिहार से हरदोई ले आया और उसके साथ शादी कर ली। शादी के कुछ साल बाद राजकुमारी ने 3 बच्चों को जन्म दिया। इस बीच 2 साल पहले भगवानदीन की मौत हो गई। जिसके बाद महिला दर बदर की ठोकरें खाने लगी और लोगों के घरों से भीख मांग कर अपने तीनों बच्चों का पेट भरने लगी। महिला की तंगी हालत को देखते हुए महिला के बेटे को उसकी बुआ अपने साथ ले गई जबकि दोनों बच्चियों को महिला के साथ दर बदर की ठोकरें खाने के लिए छोड़ दिया। पिछले कुछ दिनों से महिला की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो चुकी थी। जिसके चलते बच्चे लगातार पिछले कुछ दिन से भूख से तड़प रहे थे और महिला बच्चों के दर्द को देखकर परेशान होती थी। बच्चों की परेशानी देख महिला ने अपनी 2 साल की बच्ची को जमीन में जिंदा ही दफनाना उचित समझा। जिसके बाद महिला ने अपनी मासूम बच्ची को जमीन में नहर के किनारे दफना दिया। जब इस बात की जानकारी आसपास के ग्राम वासियों को लगी तो आनन-फानन में ग्राम वासियों ने पहले तो बच्ची को जमीन से वापस बाहर निकाला और उसके बाद घटना की जानकारी चाइल्डलाइन को दी गई। मौके पर पहुंचे चाइल्डलाइन के अधिकारियों द्वारा मां और बच्चों को संरक्षण दिया गया। मामले में चाइल्ड लाइन के अधिकारियों ने बताया की मां और बच्ची पिछले काफी दिन से भूखी थी। जिसके चलते मां ने बच्ची को जमीन में दफना दिया। फिलहाल दोनों को चाइल्डलाइन के संरक्षण में रखा गया है। लेकिन इन सबके बीच एक बड़ा सवाल अब यह खड़ा होता है कि आखिरकार एक तरफ प्रदेश सरकार प्रदेश में मुफ्त राशन मुहैया कराने की बात करती है वहीं दूसरी तरफ ना जाने कितने परिवार आर्थिक तंगी से जो जीते हुए इस तरह से कदम उठाने के लिए मजबूर है।

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