July 5, 2024

दिल्ली ब्यूरो

भारत सरकार और टि्वटर इंडिया के बीच जारी जंग अभी खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी कि, इसी बीच एक और गोपनीयता के उल्लंघन का मामला सामने आ गया। इस बार गूगल पर आरोप है कि वो कई बार यूजर्स की बातों को रिकार्ड करता है। दरअसल जब यूजर्स असिस्टेंट गूगल का इस्तेमाल करते हैं, और जैसे ही ओके गूगल बोलते हैं।  कंपनी के कर्मचारी आपकी बात सुनने लगते हैं। वही गूगल की टीम ने माना है कि कभी-कभी जब यूजर्स वर्चुअल गूगल असिस्टेंट का इस्तेमाल नहीं भी करते तब भी उनकी बातचीत को रिकॉर्ड किया जाता है। इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की तरफ से सीनियर अधिकारी ने बताया कि सरकार इस मामले को देख रही है कि गूगल जैसी कंपनी जमा डाटा को डिलीट नहीं करती।  जब तक कि यूजर्स उसे खुद ना डिलीट कर दें।

सूत्रों के अनुसार खबर है कि, ‘ओके गूगल’ करके जब गूगल असिस्टेंट से कुछ पूछा जाता है, या बात की जाती है, उस रिकॉर्डिंग को गूगल के कर्मचारी भी सुन सकते हैं। गूगल की तरफ से यह जानकारी सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति को दी गई है। आपको बता दें कि, शशि थरूर की अध्यक्षता वाली कमेटी ने इसे उपयोगकर्ता की गोपनीयता का गंभीर उल्लंघन माना है। इसपर कमेटी जल्द रिपोर्ट तैयार करके सरकार को आगे के लिए कुछ सुझाव देगी। पैनल के सूत्रों ने बताया है कि गूगल ने माना कि जब यूजर्स गूगल असिस्टेंट शुरू करके ‘ओके, गूगल’ बोलकर बात करते हैं, उसे उनके कर्मचारी सुन सकते हैं।

बता दें कि 2019 में गूगल प्रोडक्ट मैनेजर डेविड मोनसी ने एक ब्लॉग में भी इस बात को स्वीकारा था कि उनके भाषा एक्सपर्ट रिकॉर्डिंग को सुनते हैं। जिससे गूगल स्पीच सर्विस को ज्यादा बेहतर बनाया जा सके.

गौरतलब है कि, हाल में ही एक मीटिंग में झारखंड से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की तरफ से इससे जुड़ा सवाल गूगल से पूछा गया था। इसपर गूगल टीम ने माना कि कभी-कभी जब यूजर्स वर्चुअल असिस्टेंट का इस्तेमाल नहीं भी करते।  तब भी उनकी बातचीत को रिकॉर्ड किया जाता है। वहीं गूगल की तरफ से आगे सफाई दी गई कि संवेदनशील जानकारी को यहां नहीं सुना जाता,  सिर्फ सामान्य बातचीत को रिकॉर्ड किया जाता है। हालांकि, गूगल की तरफ से यह साफ नहीं किया गया कि दोनों में वह किस तरह काम करता है।

वही इस जानकारी के सामने आने के बाद गूगल को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं शुरू हो गई है।  सरकार भी अब इसपर सख़्त नजर बनाए हुए है।  उम्मीद है कि जल्द ही इसपर कोई ठोस कदम उठाया जाएगा।  हालांकि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की तरफ से सीनियर अधिकारी ने बताया है कि सरकार इस मामले को देख रही है।

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