VVIP मूवमेंट के बीच ट्रैफिक जाम में फंसी महिला की मौत, राष्ट्रपति सुख भोगने में व्यवस्थ

नमन सत्य न्यूज ब्यूरो
ये कोई आम खबर नहीं है, ये आपको आगाह करने और आपको बताने वाली वह खबर है, जो आपकी जिंदगी और मौत से जुड़ी हैं। जो इस देश के गद्दी पर बैठे राजशाही का सुख भोग रहे हुक्मरानों की लापरवाही से जुड़ी है। ये खबर है नेताओं के उस VVIP मूवमेंट की जो आपकी जान की परवाह नहीं करते, वो चाहे देश के राष्ट्रपति ही क्यों ना हो।
आखिर ऐसी क्या जरूरत थी कि पूरा शहर बंद करके दिल्ली से लेकर कानपुर तक राष्ट्रपति के काफिले को निकाला गया। आखिर ऐसी क्या जरूरत आ पड़ी थी कि ट्रेन से राष्ट्रपति को कानपुर जाना पड़ गया। हालांकि इसमें कोई परेशानी वाली बात नहीं है। लेकिन जब इस काफिले से कोई घर उजड़ जाए, जब आपके VVIP मूवमेंट की वजह से शहर जाम कर दिया जाए और उस जाम में एक महिला की मौत हो जाए, तब यह सवाल होना लाजमी है।
यह सवाल इसलिए भी, क्योंकि जिस देश की जनता हुक्मरानो को राजशाही भोगने के लिए बड़ी गद्दी तक पहुंचा देती है, क्या उनकी तनिक भी जिम्मेदारी नहीं बनती है कि जनता का ख्याल रखा जाए? चलिए मान लिया कि राष्ट्रपति को बहुत जरूरी था कानपुर जाना। लेकिन इस ट्रैफिक व्यवस्था में आखिर क्या उस महिला को 2 मिनट के लिए समय देकर निकाला नहीं जा सकता था? क्या किसी की जान की कीमत राष्ट्रपति के काफिले और VVIP मूवेंट से ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया था। या फिर इस देश का ये दुर्भाग्य ही है कि राजनेता ही सब कुछ है और जनता केवल दर्शक।
हालांकि देश की सबसे सर्वोच्च स्थान पर बैठे रामनाथ कोविंद ने माफी तो मांग ली और आदेश भी दे दिया कि आगे से भविष्य में ऐसी गलती नहीं होनी चाहिए।
लेकिन क्या गलती मांग लेने भर से, राष्ट्रपति उस परिवार की खुशियां वापस लौटा पाएंगे? क्या उस परिवार के आंसू पोंछ पाएंगे? क्या पुलिस कमिश्नर साहब उस परिवार का दर्द बांट पाएंगे या फिर मूकबधिर बैठा यह प्रशासन उस महिला को वापस जिंदा कर पाएगा? फिलहाल जो भी हो चलिए आपको पूरी खबर बताते हैं
दरअसल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तीन दिवसीय कानपुर दौरे पर हैं। इस दौरान वह दिल्ली से ट्रेन के जरिए अपने गृह जनपद कानपुर के लिए रवाना हुए। और शुक्रवार शाम लगभग 7 बजे कानपुर पहुंचे। इस दौरान पूरे रूट पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए साथ ही पुलिस का VVIP मूवमेंट भी रहा। लेकिन इस VVIP मूवमेंट ने एक 50 साल की महिला की जान ले ली। दरअसल शुक्रवार शाम राष्ट्रपति की विशेष ट्रेन के लिए कानपुर के गोविंद नगर में ट्रैफिक को रोका गया था। इस दौरान निजी कार से अस्पताल जा रही पोस्ट कोविड महिला मरीज भी जाम में फस गई, लगभग 1 घंटे तक रोके गए ट्रैफिक को नॉर्मल होने में आधा घंटा और लग गया, जिसकी वजह से जाम में फंसी महिला की हालत बिगड़ गई और जब तक वह अस्पताल पहुंचती तब तक बहुत देर हो चुकी थी। जिसके बाद अस्पताल में डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
वही महिला वंदना मिश्रा के जाम में फंसने से मौत की सूचना मिलने पर शनिवार सुबह पुलिस कमिश्नर असीम अरुण और डीसीपी रवीना त्यागी ने शोक संवेदना प्रकट की, साथ ही मृतिका के घर पहुंच कर कमिश्नर ने उनके परिवार से माफी मांगी और कमिश्नर ने महिला के पति शरद मिश्रा से कहा कि, ये ट्रैफिक व्यवस्था की खामी है, जिसके लिए वह माफी मांगते हैं, जाम में मरीज के फंसे होने की सूचना समय से मिलती तो उसे पहले ही उचित व्यवस्था करके अस्पताल भेज दिया जाता।
वहीं मृतक के परिजनों का कहना है कि करीब 2 महीना पहले वंदना कोरोना से ठीक हो गई थी लेकिन उनकी तबीयत ज्यादा अच्छी नहीं रहती थी और वजन कम हो जाने के कारण उनको कमजोरी भी रहती थी। शुक्रवार को जब उन्हें तबीयत खराब होने पर इलाज के लिए अस्पताल ले जाया जा रहा था। तभी गोविंद नगर रेलवे फ्लाईओवर पर ट्रैफिक जाम में फंस गए क्योंकि राष्ट्रपति की स्पेशल ट्रेन गुजरने के कारण सभी रास्ते बंद कर दिए गए थे और देर तक जाम में फंसे होने के कारण उनकी तबीयत ज्यादा खराब होती चली गई जिसके बाद अस्पताल पहुंचने के बाद पता चला कि उन्होंने दम तोड़ दिया है। जिसके बाद उन्हें घर लाया गया और शनिवार को उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान डीएम आलोक तिवारी, पुलिस कमिश्नर असीम अरुण और डीसीपी रवीना त्यागी भैरव वंदना के अंतिम संस्कार में शामिल होने घाट पर पहुंचे थे।
घटना की सूचना मिलने पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उनकी पत्नी सविता कोविंद ने शोक संवेदना प्रकट की है। साथ ही पुलिस कमिश्नर को यह निर्देश दिए गए हैं कि दोबारा ऐसी स्थिति भविष्य में कभी उत्पन्न नहीं होनी चाहिए।
फिलहाल जो भी हो पुलिस प्रशासन की लापरवाही और नेताओं के VVIP मूवमेंट ने एक परिवार की खुशियां, एक पति से उसने उसकी पत्नी छीन ली, और बेशर्मी से उनके दरवाजे पर पहुंचकर मौत के बदले में हुक्मरानों ने माफी भी मांग ली, साथ ही कमिश्नर साहब पूरा ठीकरा ट्रैफिक पुलिस पर फोड़ रहे, प्रशासन मौन है और राष्ट्रपति अपने दौरे पर मगन। यह खबर दर्शाती है कि इस देश में जीने वाले आम व्यक्ति की जान की कोई भी चिंता, ना ही इस देश के राष्ट्रपति को है, ना ही किसी हुक्मरानों और प्रशासन को है। इनके लिए तो जनता मरने के लिए ही बनी है। मरना हो तो मर जाइए आप, लेकिन राजशाही भोग रहे नेताओं का काफिला तो पूरा शहर बंद करके ही निकाला जाएगा, चाहे शहर शमशान ही क्यों ना बन जाए।