December 5, 2024

बेबस मां और लाचार बच्चों की दर्दभरी दास्तां के बीच दो मुल्कों की दीवार

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ma bete ki drd bhari kahani

वसीम खां,बिजनौर

मां जिंदगी का एक ऐसा अनमोल तोहफा है, जिसे पाने के लिए दुनिया का हर व्यक्ति व्याकुल रहता है। मां के बिना जिंदगी में कुछ भी संभव नहीं। लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्हें मां का प्यार नसीब नहीं होता। ऐसी ही एक दर्द भरी दास्तां उत्तर प्रदेश के बिजनौर से सामने आई है। जहां दो बच्चे अपनी मां से मिलने के लिए बेहद परेशान है। यह बच्चे हमेशा अपनी मां की राह ताकते रहते हैं, बच्चों को उम्मीद है कि मां जल्द ही इनके पास वापस लौट आएगी। दरअसल आपको बताते हैं कि ये दर्द भरी दास्तां 2 मुल्कों के बीच यानी भारत और पाकिस्तान के बीच की है। साल 1979 में जाने-माने हास्य कलाकार राशिद बिजनौरी ने अपना निकाह पाकिस्तान की कराची शहर की रहने वाली नाज़नीन फातिमा से किया था। जिसके बाद राशिद नाज़नीन को भारत के लिए आए। उस दौरान राशिद नाज़नीन को भारत की नागरिकता दिलाने के लिए हर वो संभव कोशिश कर रहे थे जिससे नाज़नीन को भारत की नागरिकता मिल सके। लेकिन कहते हैं ना कि कुदरत को जो नसीब होता है वह आखिरकार होकर ही रहता है। लगभग 39 साल तक नाज़नीन को भारत की नागरिकता दिलाने की लड़ाई लड़ने के बाद आखिरकार 26 अक्टूबर 2018 में राशिद बिजनौरी का इंतकाल हो गया। इस दौरान नाज़नीन ने 2 बच्चे रेशमा और असद को जन्म दिया। जिन्हें भारत की नागरिकता तो मिल गई लेकिन अफसोस मां को वापिस पाकिस्तान लौटना पड़ा। फिलहाल नाज़नीन पाकिस्तान के कराची शहर स्थित नजीमाबाद में अपनी पुश्तैनी मकान में रहती हैं। जहां यह दोनों बच्चे एनओसी के जरिए हर 3 महीने पर अपनी मां से मिलने जाते रहते हैं। रेशमा 35 साल और असद 37 साल के हो चुके हैं। रेशमा और असद के तीन दशक बीत जाने के बाद रेशम अपनी मां को बहुत याद करती हैं। रेशमा बताती है कि मां की तमाम शिद्दतों और पिता की लाख कोशिशों के बावजूद मां को भारतीय नागरिकता नहीं मिल सकी। ऐसे में हमारी भारत सरकार से अपील है की मां को भारतीय नागरिकता दिलाने की मदद करें। ताकि हम अभागे बच्चे अपनी मां के साथ रह सके।

रेशमा और असद बताते हैं कि उन्हें भारतीय होने पर गर्व है और वह अपने वतन भारत से बहुत प्यार करते हैं। लिहाजा दोनों ना तो पाकिस्तान जाना चाहते हैं। ना ही पाकिस्तान की नागरिकता। ऐसे में सरकार से अनुरोध है कि हमारी मदद करें ताकि 2 मुल्कों के बीच  मां और बच्चों की अधूरी कहानी को पूरा किया जा सके।

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