उन्नाव : कोरोना से इलाज के लिए 19 लाख का बिल, बदले में मिली मौत, अस्पताल नहीं दे रहा शव
लखनऊ ब्यूरो
देश में कोरोना का ताप धीरे-धीरे कम हो रहा है, लेकिन आमजन की परेशानियां अभी भी जस की तस बनी हुई है, क्योंकि हैवान अस्पताल अभी भी लोगों से पैसा चूसने में लगे हुए हैं। जिसके चलते अस्पताल द्वारा लोगों को भारी-भरकम बिल थमाया जा रहा है। ऐसे में लोग बेहद परेशान है। तत्काल हालातों में उनकी सुनने वाला भी कोई नही है। मंत्री से लेकर विधायक तक आमजन का फोन नही उठा रहें। लिहाजा लोग कोरोना की मार के साथ-साथ अस्पतालों के बिल की भी मार झेलने को मजबूर है। हम ये बात इसलिये कह रहे है क्योंकि ऐसा ही एक मामला यूपी के उन्नाव से सामना आया है। जहां एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी को कोरोना होने पर लखनऊ के एक अस्पताल में भर्ती कराया था। जहां महिला का उपचार पिछले कई दिनों से जारी था। लेकिन अफसोस महिला को बचाया नहीं जा सका और अब जब महिला का पति शव लेने अस्पाल पहुंचा तो अस्पताल प्रशासन ने शव देने से मना कर दिया। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि पहले पिछला बिल 10 लाख 75 हजार रुपए बकाया जमा करवाया जायें। उसके बाद ही महिला का शव दिया जायेगा। हैरानी की बात तो ये है कि ये आलम कहीं और के अस्पताल का नही बल्कि प्रदेश की राजधानी लखनऊ का है। जहां खुद मुख्यमंत्री का आवास 5 कालिदास मार्ग स्थित है। ऐसे में बाकि के 74 जिलों के अस्पतालों का हाल क्या होगा। हम खुद इस बात से अंदाजा लगा सकते है। आइये अब आपको बताते है कि दरअसल पूरा मामला क्या है।
जानकारी के अनुसार उन्नाव के रहने वाले अनिल कुमार की पत्नी को हाल ही में कोरोना हुआ था। जिसके बाद अनिल ने अपनी पत्नी को उपचार के लिये लखनऊ के टेंडर पाल्म अस्पताल में भर्ती करवाया था। जहां उनका पिछले कई दिनों से इलाज जारी था। लेकिन अफसोस अनिल की पत्नी को बचाया नही जा सका उनका कोरोना से निधन हो गया। जिसके बाद अस्पताल ने पीड़ित को 19 लाख का बिल भी थमा दिया। जिसमें अनिल ने 8 लाख 85 हजार रुपये पहले ही जमा कर दिये थेl लेकिन अभी भी 10 लाख 75 हजार रुपए बकाया है। जिसकी वजह से अस्पताल पीड़ित पति को पत्नी का शव देने से मना कर रहा है।
वही पीड़ित का कहना है कि रविवार को उनकी पत्नी का निधन हो गया। इसके बाद उन्होनें अस्पताल प्रशासन से पत्नी का शव मांगा तो उन्होंने बिल थमा दिया और बकाया पैसा मांगने लगे जो कि अब उनके पास नहीं है। हालांकि मामले में डीएम लखनऊ को शिकायत भेज दी गई हैं। बावजूद इसके डीएम साहब की तरफ से मामले में कोई भी कार्रवाई नहीं की गई । जिसकी वजह से उन्हे बेहद परेशानी उठानी पड़ रही है।