September 29, 2024

नवरात्र के छठे दिन माता दुर्गा के कात्यायिनी स्वरुप की स्तुति की जाती है। इस दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित होता है। ‘कात्यायिनी’ अमरकोष में पार्वती का दूसरा नाम है। इसके साथ ही गौरी, हेमवती, काली व ईश्वरी इन्हीं के नाम हैं। स्कंद पुराण में उल्लेख है कि वे परमेश्वर के नैसर्गिक क्रोध से उत्पन्न हुई थीं। जिन्होंने देवी पार्वती के दिए गए सिंह पर सवार होकर राक्षस महिसासुर का वध किया था। परंपरागत कात्यायिनी देवी भी माता दुर्गा के समान लाल रंग से जुड़ी हैं। योग साधना में इस साधना चक्र का बहुत महत्व है। इस दिन सहज भाव से मां का व्रत करना चाहिए।

कौन हैं माता कात्यियनी

हिंदू पुराणों के अनुसार ‘कत’ नामक एक ऋषि थे और उन्हीं के पुत्र ऋषि ‘कात्य’ हुए। इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्व प्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। इन्होंने भगवती पराम्बा की वर्षों तक कड़ी तपस्या की थी और उनकी इच्छा थी कि मां भगवती उनके घर उनकी पुत्री के रुप में जन्म लें। तभी मां भगवति ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार की थी। कुछ समय के बाद जब दानव महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बढ़ा तब भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को उत्पन्न किया और महार्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की इसी कारण ये देवी कात्यायनी कहलायी।

कैसे करें मां की पूजा

प्रात: घर की साफ-सफाई कर के स्नान कर लें।

मां को लाल औऱ पीला रंग अति प्रिय है, इसलिए आप लाल या पीले रंग के कपड़े पहनें आपके लिए अति शुभ होगा

मां की चौकी की सफाई कर मां को गंगाजल से स्नान करके मां का श्रृंगार कर दें।

कात्यायिनी देवी के मंत्र का जाप करते हुए माता के सामने दिया जलाएं औऱ मां को धूप, हवन अर्पित कर के लाल-पीले रंग के फूल चढ़ाऐं।

माता की आरती करने के बाद मिष्ठान का भोग लगाएं।

माता के समक्ष सच्चे और शांत मन से अपनी प्रार्थना कहें और प्रणाम करके कात्यायिनी देवी का आशीर्वाद लें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *