सीएम योगी vs मुख्तार अंसारी: कहानी 16 साल पुरानी

कहते हैं वक्त सबका हिसाब करता हैं, अबकि बारी मुख्तार अंसारी समय के इस चक्र में फंसे हैं। दसअसल योगी सरकार के नेतृत्व में यूपी में माफियाओं और गुडों के दिन पूरे हो रहें हैं। तो ऐसे अब शिकंजा कस रहा हैं माफिया मुख्तार अंसारी पर और सूबे के मुखिया इस वक्त हैं योगी आदित्यनाथ। ऐसे गाहे-बगाहे 16 साल पहले की कहानी याद आ ही जाती हैं या यूं कहें याद करना जरुरी भी हो जाता है।

जब योगी आदित्यनाथ के काफिले पर हुआ था हमला
बात 2005 की हैं, यूपी के मऊ के साथ साथ माफिया मुख्तार अंसारी का ताडंव तत्कालीन सरकार के संरक्षण में पूरे प्रदेश में फल फूल रहा था। उसी साल मऊ में भीषण सांप्रदायिक दंगे हुए। जिसमें 9 लोगों की मौत हुई थी। दंगों के समय मुख्तार अंसारी खुली गाड़ी में दंगे वाली जगहों पर घूम रहा था। उसी समय मुख्तार पर दंगों को भड़काने का आरोप लगा था। इन दंगों के बाद 2006 में गोरखपुर के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ ने मुख्तार अंसारी को चुनौती दी थी कि वह दंगे के पीड़ितों को इंसाफ दिलाएंगे। इसके बाद योगी आदित्यनाथ मऊ के लिए निकले तो उन्हें मऊ के पास दोहरीघाट पर रोक दिया गया था। योगी आदित्यनाथ को वापस आना पड़ा। इसके 3 साल बाद 2008 में हिंदू युवा वाहिनी के नेतृत्व में योगी आदित्यनाथ ने एलान किय कि वो आजमगढ़ में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लडेंगे और रैली निकालेंगे। रैली के लिए 7 सितंबर 2008 का दिन तय किया गया और जगह डीएवी कॉलेज का मैदान। योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर से 40 वाहनों के साथ काफिला लेकर निकले। इस बीच आजमगढ़ में विरोध की आशंका थी, इसीलिए योगी की पूरी टीम तैयार थी। हुआ भी वहीं आजमगढ़ पहुंचते ही योगी आदित्नाथ की गाड़ी पर हमला हो गया। हमला पूरी तरीके से सुनियोजित था। हमले की आशंका मुख्तार अंसारी पर गई। योगी आदित्यनाथ ने इशारों में मुख्तार को चेतावनी दे दी थी।

अब 16 साल बाद शायद वो वक्त आ गया हैं जब माफिया मुख्तार अंसारी का हिसाब होने वाला हैं। और 2006 के काफिले पर हमले का भी।