किसान-सरकार के बीच 9वें दौर कि वार्ता आज, पिछली सभी 8 वार्ता रही फेल
दिल्ली संवाददाता
किसानों के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानून को लेकर देशभर का किसान पिछले 51 दिन से देश की अनेकों सड़कों पर धरना दे रहा हैं। किसानों का कहना है कि सरकार ने जो तीन नए बिल बनाए है, वें सभी तीनों कानून किसानों के लिए काले कानून साबित होंगे, लिहाजा सरकार अपने बनाए हुए तीनों कानून को जल्द से जल्द वापिस लें, वहीं दूसरी तरफ सरकार भी लगातार किसानों से गुजारिश कर रही है कि ये सभी तीनों कानून उनके हित में है। अगर किसानों को लगता है कि ये तीनों बिल किसानों के अनुरूप नहीं है, तो सरकार उस बिल में संशोधन करने के लिए तैयार है। वहीं किसानों का कहना है कि सरकार बिल में संशोधन ना करके बिल को ही ख़तम कर दें।
किसान – सरकार की सभी पिछली 8 वार्ताएं रही बेनतीजा, 9 वीं वार्तालाप से निकलेगा हल?
किसान आंदोलन के इन 51 दिनों के बीच सरकार और किसानों में 8 बार वार्तालाप की बैठक हो चुकी है। लेकिन अभी तक ये सभी वार्तायें पूरी तरह से विफल रही है। किसानों का कहना है कि, वें सरकार से सिर्फ इतना चाहते है कि सरकार अपने बनाए हुए तीनों काले कानून वापस लें, वहीं सरकार भी अपनी बात पर अड़ी हुई है। सरकार अपने बनाए हुए तीनों बिल किसी भी कीमत पर वापस लेने के मूड में दिखाई नहीं पड़ रही है। सरकार का कहना है कि हम बिल में किसान के अनुसार संशोधन करने के लिए तैयार है। सरकार और किसान दोनों की अपनी अपनी जिद के चलते अभी तक दोनों के बीच किसी भी तरह की कोई सहमति नहीं बन सकी है।
इन सबके बीच किसानों कि हालातों को देखते हुए पिछले हफ्ते देश कि सर्वोच्च न्यायपालिका ने किसान और सरकार से बातचीत करने के लिए एक सदस्यीय कमेटी का गठन किया है।
12 बजे विज्ञान भवन में होंगी किसान-सरकार कि वार्तालाप, 9वीं वार्तालाप में भी किसानों को ना उम्मीद
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत कि माने तो वे किसी भी कीमत में अपनी मांगो से पीछे नहीं हटेंगे, सरकार को उनकी मांग हर हाल में माननी ही होगी, जब तक सरकार किसानों की मांगो को नहीं मानेगी तब तक हम किसान भाई अपने घर वापस नहीं लौटेंगे।
राकेश टिकैत ने कहा कि अब तक की पिछली सभी 8 बैठेक में सरकार किसानों कि बिल पर संसोधन करने की बात करती रही है। जिसका किसान भाई बिल्कुल भी समर्थन नहीं करते है। किसान की सिर्फ एक ही मांग है कि सरकार अपने बनाए तीनों काले कानून वापस लें। इसलिए अभी तक सरकार और किसानों के बीच की सभी 8 वार्तालाप विफल रही है। सरकार की इस 9वीं वार्तालाप से भी किसानों को शून्य भर भी उम्मीद नहीं है। वहीं दूसरी तरफ किसान अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई सदस्यीय कमेटी से भी वार्ता करने के तैयार नहीं है। किसानों का कहना है कि वे इस मसले में सीधे सरकार से बात करेंगे, इन हालातों में वे किसी भी तरह की मध्यस्थता नहीं चाहते है।